पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी
जयपुर: राजस्थान पत्रिका समूह की ओर से समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूर चंद्र कुलिश की जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में मंगलवार सुबह ’स्त्री: देह से आगे’ विषय पर जयपुर में विषय विवेचन कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
मां शक्ति है, वह देने वाली है, कभी मांगती नहीं है
राजस्थान पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि जीवन में पुरुष और स्त्री दोनों के संतुलित हिस्से होना चाहिए, लेकिन पौरुष भाव को ज्यादा समर्थन मिल रहा है। आज शिक्षा भी पौरुष भाव को बढ़ावा दे रही है, स्त्रैण भाव पर ध्यान नहीं। इसी लिए जीवन में आक्रामकता बढ़ रही है। मां की महत्ता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह शक्ति है, वह देने वाली है, कभी मांगती नहीं है।
राजस्थान पत्रिका समूह के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूरचन्द्र कुलिश की जन्मशती वर्ष के उपलक्ष में ‘स्त्री: देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम में कोठारी ने स्त्री और पुरुष के बीच असंतुलन के लिए वर्तमान शिक्षा प्रणाली को जिम्मेदार बताया। वे मंगलवार को यहां सेना की दक्षिण-पश्चिम कमान के सप्त शक्ति ऑडिटोरियम में आर्मी वीमेन वेलफेयर एसोसिएशन (आवा) की सदस्यों, सैन्य अफसरों और सैनिकों को संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम में मेजर जनरल संदीप बहल, मेजर जनरल अनिन्द्य ओडी व मेजर जनरल रोहित महरोत्रा सहित अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी सपत्नीक मौजूद रहे। कोठारी ने वायुसेना में अपने कार्यकाल के अनुभव भी सैन्य अधिकारियों के बीच साझा किए। कार्यक्रम के अंत में सेना की ओर से मेजर जनरल संदीप बहल ने गुलाब कोठारी को सम्मानित किया और कोठारी ने मेजर जनरल बहल को शब्द वेद भेंट किया।
उन्होंने कहा कि देश की समृद्धि महिला के हाथ में है, लेकिन उसका अपमान होगा तो समृद्धि कैसे देगी। आज महिलाओं की स्थिति व सुरक्षा के बारे में सोचना जरूरी है। उन्होंने कहा कि मां देने वाली होती है। इसी लिए स्त्री की शक्ति के रूप में पूजा होती है। गर्भ के पोषण में मां की दिव्यता दिखती है।
वह गर्भ में आए जीवात्मा को संस्कारित करती है। श्रद्धा, वात्सल्य व प्रेम के माध्यम से जीवात्मा को परिष्कृत करती है, लेकिन आज शिक्षा से स्त्रैण भाव घट रहा है और पौरुष भाव बढ़ रहा है। इसी से महिला-पुरुष के बीच असंतुलन पैदा हो रहा है।
उन्होने कहा कि आज पढ़ाई में देश है ही नहीं। पढ़ाई शरीर पर केंद्रित है, जबकि शरीर जीवन की इकाई नहीं है। आत्मा जीवन की इकाई है। पढ़ाई के स्वरूप ने हमें जीवन से दूर कर दिया। विज्ञान जीवन के भीतर खोजना नहीं सिखा रहा। उन्होंने कहा कि हर पुरुष के भीतर स्त्री व हर स्त्री के भीतर पुरुष है। यह अर्द्धनारीश्वर का सिद्धांत है, लेकिन आज लड़के में लड़की के गुण शून्य हो रहे हैं। उसका विकास स्वच्छंद रूप से हो रहा है। लड़की के विकास की परम्परा रही है कि वह मां व दादी के साथ बड़ी हो रही है।
Updated on:
08 Oct 2025 11:22 am
Published on:
07 Oct 2025 10:11 am
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