
स्कूली बच्चों की आंखों के लिए मोबाइल-टेबलेट आदि के स्क्रीन गम्भीर खतरा बन गए हैं। इससे उनकी नजरें कमजोर होने के साथ आंखों में भेंगापन और दूसरी समस्याएं देखी जा रही हैं। शिक्षा विभाग के शाला स्वास्थ्य परीक्षण में सीमावर्ती जिले के 862 विद्यार्थियों की नजर कमजोर पाई गई है। पूरे प्रदेश का यह आंकड़ा 47 हजार 423 है। राज्य सरकार की ओर से इन बच्चों को नजर का चश्मा मुहैया करवाने के लिए कार्रवाई शुरू की गई है।
जहां सरकार अपनी जिम्मेदारी समझ कर आगे बढ़ रही है, वहीं इस आंकड़े और मौजूदा हालात अभिभावकों के लिए भी जिम्मेदारी बरतने का अलार्म माने जा सकते हैं। जानकारों के अनुसार बच्चों की कमजोर हो रही आंखों के लिए आधुनिक जीवन शैली और अभिभावकों की बढ़ती लापरवाही की भी अहम भूमिका है। जानकारी के अनुसार शाला स्वास्थ्य परीक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत अभियान चलाया गया था। इसमें करीब 75 लाख विद्यार्थियों की पेपरलेस डिजिटल माध्यम से जांच की गई थी। बच्चों का अलग-अलग मापदंडों पर परीक्षण किया गया। जिन विद्यार्थियों की नजर कमजोर है, उन्हें नि:शुल्क चश्मा मुहैया करवाने के लिए शिक्षा विभाग, स्वास्थ्य विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग और स्वयंसेवी संस्थाओं की ओर से साझा तौर पर प्रयास किए जाएंगे।
अभियान में जैसलमेर जिले में 862 बच्चों के अलावा सीकर में 1093, अजमेर में 1622, अलवर में 1029, बालोतरा में 717, बारां में 504, बांसवाड़ा में 934, बाडमेर में 1506, ब्यावर में 1038, भरतपुर में 666, भीलवाड़ा में 1006, बीकानेर में 2049, बूंदी में 1024, चितौडगढ़ में 1292, चूरू में 1237 दौसा में 1277, डीग में 416. धौलपुर में 744, डीडवाना-कुचामन में 1325, डूंगरपुर में 872, हनुमानगढ़ में 1684, श्रीगंगानगर में 2315, जयपुर में 4226, जालौर में 2205, झालावाड़ बाड़ में में 618, झुंझुुनूं में 1032, जोधपुर में 1283, करौली में 729, खैरथल तिजारा में 473, कोटा में 1046, बच्चों की आंखें कमजोर पाई गई हैं।
मोबाइल, कंप्यूटर व लैपटॉप का ज्यादा उपयोग करने की वजह से बच्चों की आंखें कमजोर हो रही हैं। भोजन में भी बच्चे पोष्टिक खाद्य पदार्थों को नजरअंदाज करते हैं और जंक फूड पसंद करते हैं। परिवार में माता-पिता को चश्मा होने पर बच्चों में भी नजर कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है। इन सब कारणों से इससे बच्चों की नजरें कमजोर हो रही है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बच्चों को जहां तक संभव हो स्क्रीन से दूर रखें और उन्हें आउटडोर गतिविधियां ज्यादा करवाएं। जंक फूड की जगह दूध, हरी सब्जियां व गाजर आदि सीजनल फल खिलाएं।
Published on:
03 Dec 2025 11:00 pm
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