
इस वर्ष बारिश व खेतों में खरीफ की उपज के चलते अनाज व तिलहन के स्थानीय व्यापारियों को अच्छा खासा रोजगार मिल रहा है। दूसरी तरफ समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद केन्द्र नहीं खुलने के कारण किसानों को कम दामों में भी अपनी उपज को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार इस वर्ष मानसून में अच्छी बारिश हुई थी। जिसके बाद किसानों की ओर से खेतों में खरीफ की बुआई की गई। इसमें ग्वार, बाजरा, मतीरे के बीज की अच्छी उपज हुई। किसान गत एक माह से अपनी उपज को स्थानीय बाजारों में बेचने के लिए आ रहे है। किसानों की उपज को खरीदने के लिए यहां मुख्य मार्गों पर बैठे व्यापारियों को किसान अपनी फसलें बेच रहे है। व्यापारी इस उपज को खरीदकर आगे बड़ी मंडियों में ले जाकर बेचकर अपना कारोबार चला रहे है।
कस्बे के जोधपुर रोड स्थित जोधनगर, जैसलमेर रोड, बस स्टैंड में अनाज के ऐसे कई थोक व्यापारियों ने किसानों से ग्वार व तिल खरीदने के लिए अपनी दुकानें लगा दी है। इन दुकानों पर सुबह से लेकर शाम तक अपनी उपज बेचने वाले किसानों का तांता लगा हुआ है। किसान छोटी-मोटी गाडिय़ों में गांवों से अपनी फसल लेकर पहुंच रहे है। इस कारोबार के तहत प्रतिदिन सैकड़ों क्विंटल अनाज का क्रय-विक्रय हो रहा है। यहां किसान थोक व्यापारियों को विशेष रूप से ग्वार, तिल व मतीरे के बीज जैसी फसल आवश्यकतानुसार विक्रय कर रहे है। इसके अलावा नलकूपों से सिंचाई से भी कई गांवों में अच्छी खेती व उपज होती है। नलकूपधारी किसान भी मूंगफली, मूंग व बाजरे की फसलों को स्थानीय व्यापारियों को लाकर बेच रहे है। व्यापारी इन फसलों को खरीदकर जोधपुर मण्डी में ले जाकर बेचने का कार्य कर रहे है। इस कारोबार में गत एक माह से कई व्यापारी लगे हुए है।
सरकार की ओर से अलग-अलग जींसों का समर्थन मूल्य निर्धारित कर सरकारी स्तर पर अनाज के खरीद केन्द्र शुरू किए जाते है, ताकि किसानों को अपनी उपज का पर्याप्त भाव मिल सके। पोकरण क्षेत्र में ग्वार, तिल व मतीरे की पैदावार अच्छी हुई है। जबकि नलकूपों पर मूंग, मूंगफली व बाजरे की अच्छी पैदावार हुई है, लेकिन राज्य सरकार की ओर से समर्थन मूल्य पर अनाज के खरीद केन्द्र नहीं खोले गए है। हालांकि पोकरण में मूंग व मूंगफली की फसल का खरीद केन्द्र स्वीकृत है, लेकिन जगह नहीं मिलने के कारण अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। इसके अलावा अन्य फसलों के खरीद केन्द्र न तो स्वीकृत हुए है, न ही खोले गए है। जिसके चलते यहां के व्यापारी किसानों की उपज के भाव अपनी मनमर्जी से तय कर उनसे सस्ते में अनाज खरीद रहे है और सरकारी खरीद केन्द्र नहीं होने के कारण छोटे किसानों को मजबूरन अपनी उपज सस्ते में बेचनी पड़ रही है।
Published on:
03 Dec 2025 10:49 pm
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