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Inland Port In Rajasthan: स्वेज की तर्ज पर राजस्थान में बनेगा पहला इनलैंड पोर्ट, 10 हजार करोड़ आएगी लागत; होंगे बड़े फायदे

Bhavtada Port: इनलैंड पोर्ट प्रोजेेक्ट 9 साल पूर्व उस समय चर्चा में आया था, जब पश्चिमी राजस्थान में बंदरगाह बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इच्छा जाहिर की थी।

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Photo: AI generated

Rajasthan first Inland Port: जालोर। अरब सागर से स्वेज नहर की तर्ज पर सांचौर के भवातड़ा क्षेत्र तक प्रस्तावित इनलैंड पोर्ट (अंतरदेशीय बंदरगाह) को लेकर फिर से कवायद शुरू हो गई है। लेकिन, अब प्रोजेक्ट कोस्ट में 80 फीसदी तक इजाफा हो चुका है। तय एजेंसी वॉपकोस की ओर से करीब 6 साल पूर्व तैयार की गई डीपीआर में प्रोजेक्ट 6 हजार 200 करोड़ रुपए आंका गया था। अब प्रोजेक्ट की कोस्ट 10 हजार करोड़ से अधिक की आंकी गई है।

खास बात यह है कि प्रोजेेक्ट करीब 9 साल पूर्व उस समय चर्चा में आया जब पश्चिमी राजस्थान के इस क्षेत्र में बंदरगाह बनाने के लिए केंद्र सरकार ने इच्छा जाहिर की थी। बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय ने इस कार्य के लिए रूट तय करने और प्रोजेक्ट एलाइनमेंट तय करने को वॉपकोस एजेंसी को प्रोजेक्ट की डीपीआर बनाने का कार्य सौंपा था।

कच्छ का रण होते हुए भवातड़ा पहुंचेगी नहर

एजेंसी ने इस प्रोजेक्ट पर धरातलीय सर्वे करवाकर रिपोर्ट जल संसाधन विभाग के मार्फत राज्य सरकार को सौंपा। लेकिन उसके बाद से यह प्रोजेक्ट 6 साल से ठंडे बस्ते में ही था। अब प्रोजेक्ट को लेकर फिर से चर्चाएं जरुर चल रही है, लेकिन प्रोजेक्ट कोस्ट काफी ज्यादा बढ़ चुकी है। बता दें समुद्री मार्ग के लिए भवातड़ा से 365 किमी लंबी 60 मीटर चौड़ी नहर बननी है। यह नहर कोरी क्रीक से कच्छ का रण होते हुए भवातड़ा पहुंचेगी।

इसलिए चर्चा में आया था प्रोजेक्ट

यह महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट राजस्थान के गुजरात से सटते इस क्षेत्र में जल मार्ग से अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाला है। इसी मंशा से केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट को खासी अहमियत दी और उसके बाद जून 2016 में इस प्रोजेक्ट के लिए धरातल पर सर्वे का काम शुरू हुआ। वॉपकोस ने करीब डेढ़ वर्ष पूर्व डीपीआर बनाकर जल संसाधन विभाग को भी सुपुर्द कर दी थी। यह प्रोजेक्ट 6 हजार 200 करोड़ रुपए का आंका गया था। राज्य स्तरीय क्वेरी होने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेजा गया, लेकिन उसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में ही था।

यह हुआ था सर्वे में

भवातड़ा पोर्ट के लिए इस क्षेत्र में 1.72 स्क्वायर किमी (172 हैक्टेयर) पोर्ट के लिए क्षेत्र चिह्नित किया था। जिसमें पहले स्तर पर 35 से 40 हैक्टेयर क्षेत्र का उपयोग बंदगाह के लिए किया जाना था और शेष क्षेत्र आरक्षित रखा जाना था।

भविष्य का प्लान, कॉमर्शियल कोरिडोर का सपना

यह प्रोजेक्ट अहम है और इससे पूरे पश्चिमी राजस्थान को फायदा होना है। मुय रूप से जालोर समेत जोधपुर, पाली, बाड़मेर जिले को इससे फायदा होना है। इसके अलावा प्रोजेक्ट मैप के अनुसार भवातड़ा से 144 किमी दूरी से दिल्ली-मुंबई (वाया पिंडवाड़ा-आबूरोड) फ्रेट कोरिडोर भी गुजर रहा है। ऐसे में इन क्षेत्रों के लिए भी यह प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण साबित होगा।

इस तरह से शुरुआत हुई, लेकिन पैरवी नहीं होने से अटकी

वर्ष 2015 में तत्कालीन मंत्री रामप्रताप चौधरी व सचिव अजिताभ शर्मा ने तत्कालीन केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी से इस प्रोजेक्ट को लेकर चर्चा की थी और प्रोजेक्ट की अहमियत से अवगत करवाया था। जिस पर इस प्रोजेक्ट को परमिशन मिली और स्वेज नहर की तर्ज पर इसके लिए सर्वे होने के साथ साथ डीपीआर भी बनी।

एजेंसी ने वर्तमान और भविष्य के लिए दिए सुझाव

वॉपकोस ने भवातड़ा में इनलैंडपोर्ट के लिए महत्वपूर्ण सुझाव सबमिट किए थे। रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण में वर्ष 2019 से 2028 तक के दशक के लिए 35 हैक्टेयर भूमि की जरुरत जताई गई। वहीं दूसरा चरण 2029 से 2038 तक है। इसके लिए 53 हैक्टेयर भूमि की जरुरत जताई गई।

गहन सर्वे किया था एजेंसी ने, लेकिन काम नहीं हो पाया

-इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट में 365 किमी लंबी केनाल बनाई जानी है। सीधे तौर पर यह समुद्री मार्ग ही होगा। प्रोजेक्ट में 23 किमी क्षेत्र राजस्थान का है।
-इस प्रोजेक्ट की क्रियान्विति केवल राजस्थान के लिए ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न हितों को ध्यान में रखते हुए की जा रही थी।
-समुद्र से पोर्ट तक 60 मीटर चौड़ाई की केनाल बनाई जानी प्रस्तावित थी, जिसकी गहराई 3 मीटर के लगभग रहनी थी। इस मार्ग से बड़े-बड़े जहाज भवातड़ा पहुंचने हैं और यहां लोडिंग और अनलोडिंग का बड़े स्तर पर काम होना है।

इनका कहना है

पूरे पश्चिमी राजस्थान के लिए प्रोजेक्ट अहम है। इस प्रोजेक्ट से व्यापारियों, किसानों और अन्य सेक्टर्स को फायदा होगा। प्रोजेक्ट की क्रियान्विति को लेकर सकारात्मक प्रयास किए जाएंगे।
-लुंबाराम चौधरी, सांसद, जालोर-सिरोही

विभागीय स्तर पर पोर्ट को लेकर मुख्यालय से रिपोर्ट मांगी गई थी। पूर्व के सर्वे की रिपोर्ट्स मुख्यालय स्तर पर भेज दी गई थी।
-विजेश वालेचा, एक्सईएन, जल संसाधन विभाग, जालोर