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जिले के सबसे बड़े अस्पताल को फायर एनओसी ही नहीं, आग लगीतो संभालना होगा मुश्किल

- पत्रिका टीम ने पूरे अस्पताल का किया निरीक्षण

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- पत्रिका टीम ने पूरे अस्पताल का किया निरीक्षण

झालावाड़.चार माह पूर्व न्यू फ्रेबीकेटेड वार्ड में आग लगने के बाद भी एसआरजी चिकित्सालय प्रशासन कोई सबक नहीं ले रहा है। यहां भी दो बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। फिर भी चिकित्सा प्रशासन इस दिशा में गंभीर नहीं है। चिकित्सा प्रशासन ने साढ़े तीन करोड़ रुपए के प्रस्ताव भेज रखे हैं, लेकिन राज्य सरकार द्वारा बजट नहीं भेजने से फायर फाइटिंग सिस्टम बदहाल पड़ा हुआ है।

  • फायर ड्रिल नहीं-

एसआरजी चिकित्सालय जिले का सबसे बड़ा चिकित्सालय है। यहां प्रतिदिन ढ़ाई से तीन हजार मरीज मरीज इलाज के लिए आते हैं। वहीं तीन से चार सौ मरीज भर्ती रहते हैं। बावजूद इसके यहां अग्निशमन यंत्र जर्जर है। यहां कभी फायर ड्रिल नहीं की गई है।

आग से सुरक्षा के लिए कितना तैयार-

अस्पताल प्रशासन के पास 5-6 फायर मैन है। पर्याप्त संसाधन नहीं है। ऐसे में मरीज की जान खतरे में बनी रहती है। यहां दो वार्डों के बीच में एक ही फायर उपकरण लगा हुआ है।

ग्राउंड ऑडिट में मिली कई खामियां-

एसआरजी चिकित्सालय के अस्पताल की पत्रिका टीम ने सोमवार को ग्राउंड ऑडिट की तो कई तरह की खामियां मिली। फायर हाउस में कई जगह कबाड़ भरा हुआ, मिला होज पाइप व अन्य उपकरण बदहाल मिले। अस्पतालों में फायर सेफ्टी की मौजूदा स्थिति चारों तरफ बदहाल नजर आई। एसआरजी चिकित्सालय में फायर अलार्म, स्मोक डिटेक्टर खराब है,अग्निशमन यंत्र लगे हुए है, लेकिन फायर एग्जिट की स्थिति ठीक नहीं है। गत दिनों न्यू इमरजेंसी के फेब्रिकेटेड वार्ड में लगी आग के समय एक एग्जिट दरवाजा बंद था। समय रहते पता चल गया, अगर रात को आग लगी तो यहां भी जयपुर जैसा हादसा हो जाता। एसआरजी चिकित्सालय में 5-6 फायर मैन है, लेकिन उनकी कभी फायर ड्रिल नहीं करवाई गई है। हालांकि यहां कुछ गार्डों व वार्ड इंचार्ज को जरुर ट्रेनिंग दी गई ।

फायर सेफ्टी ऑडिट में मिली ये कमियां-

फायर सेफ्टी ऑडिट मई 2025 में हुई थी संसाधन संबंधी कई कमियां बताई गई है, जिन्हे अभी तक पूरा नहीं किया गया है।इसके चलते अभी तक अस्पताल को फायर एनओसी नहीं मिल पाई है।

इसके अलावा कई कमियां मिली- -

मुख्य फायर वाटर सप्लाई पंप पूर्णतया बंद है।

-फायर पंप के विद्युत पैनल को सही करवाने की जरूरत है।

- डीजी रूप में डीजल सहित कई सामान रखे होते हैं उन्हे हटाने की जरूरत।

-इमरजेंसी बिल्डिंग में फायर हाईड्रेंट लाईन व स्प्रिंग कलर सिस्टम होना आवश्यक है।

- ओपीडी ब्लॉक में फायर हाईड्रेंट लाइन उपलब्ध नहीं है।

- आईपीडी ब्लॉक में समस्त फायर सिस्टम हाईडें्रन्ट लाइन, होजरील, स्प्रिंग कलर सिस्टम आदि क्षतिग्रस्त है।

-प्रत्येक नर्सिंग वार्ड में 4 एबीसी पाउडर टाइप व 1 सीओटू टाइप एक्सटींग्यूशर्स लगे होना आवश्यक है।

- फायर एग्जिट हमेशा सुरक्षित व व्यवस्थित रखने की सलाह दी गई।

- अग्नि दुर्घटना के दौरान मरीजों व आमजनों को सूचित करने के लिए पोर्टेबल फायर अलार्म व अनाउन्समेंट की व्यवस्था किया जाना जरूरी।

अभी तक दो बार लग चुकी है आग-

एसआरजी चिकित्सालय में पिछले पांच साल में दो बार आग लगने की घटनाएं हो चुकी है। जिसमें एसआरजी में न्यू फेब्रिकेटेड वार्ड में 20 मई को स्पार्किंग होने से व जनाना अस्पताल में करीब एक साल पहले एनआईसीयू के वार्मर के अधिक गर्म होने से आग लगी थी। उस समय करीब 30बच्चे भर्ती थी।

फायर विभाग की राय-

अस्पतालों को फायर फाइटिंग सिस्टम अपडेट रखने चाहिए, समय-समय पर इनको आगाह करते रहते हैं। एसआरजी चिकित्सालय में पूर्व में जो कमियां मिली उसके लिए लेटर भी लिख हुआ है। जल्द ही सभी अस्पतालों का निरीक्षण करवाकर कमियोंं को दूरस्त करने के लिए पाबंद करेंगे।

श्याम गुर्जर, फायर प्रभारी, नगर परिषद, झालावाड़।

अस्पताल को दुरस्त रखने चाहिए-

संसाधन उपलब्ध करवाना चाहिए अभी तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अस्पताल में सभी आवश्यक संसाधन होने चाहिए, ताकि जयपुर जैसी घटना नहीं हो। अस्पताल में फायर सेफ्टी संकेतक लगाने चाहिए ताकि जानकारी स्पष्ट रूप से उपलब्ध हो सके। सरकार को फायर संसाधन सभी अस्पतालों में उपलब्ध करवाने चाहिए ताकि ऐसे हादसे नहीं हो।

कृष्णपालसिंह तीमारदार, झालावाड़।

प्रस्ताव बनाकर भेजे हैं-

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एसआरजी चिकित्सालय के खराब फायर सिस्टम को दुरस्त करने के लिए 267 लाख का बजट के लिए प्रस्ताव बनाकर भेज रखे हैं। सभी स्टाफ को ट्रेनिंग दे रखी है। प्रचुर मात्रा में सिलेंडर है। नियमित रिफलिंग हो रही है। बजट आते ही पूरा सिस्टम दुरस्त किया जाएगा।

डॉ. संजय पोरवाल डीन, मेडिकल कॉलेज, झालावाड़।