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डॉक्टर दंपत्ति डिजिटल अरेस्ट: मैं… एनआइए क्राइम ब्रांच का अफसर हूं, दिल्ली विस्फोट में हुआ है तुम्हारे नंबर का उपयोग

अधिकारी बनकर की गई ठगी की कोशिश, परिचितों की सतर्कता से बची बड़ी रकम, पुलिस ने शुरू कराई जांच, डेढ़ घंटे तक करके रखा डिजिटल अरेस्ट, बंद करा दिया घर का दरवाजा, 123 कैमरों से बताई निगरानी, हर शब्द की रिकॉर्डिंग

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कटनी

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Balmeek Pandey

Nov 22, 2025

woman subjected to digital arrest then defrauded of more than 30 million rupees crime news noida

डिजिटल अरेस्ट कर महिला से 31 लाख की ठगी। फोटो सोर्स-AI

कटनी. दिल्ली विस्फोट में कई बेगुनाहों की मौत से परिजनों ने जहां अपनों को खो दिया है तो वहीं पूरे देश में आक्रोश की आग है। इन बसके बीच जालसाज विस्फोट में भी ठगी का ठिकाना बना रहे हैं। शहर में डिजिटल अरेस्ट का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें आजाद चौक गाटरघाट क्षेत्र निवासी गहोई समाज के सरपंच डॉ. हजारी लाल गुप्ता जालसाजों की बड़ी ठगी का शिकार होने से बाल-बाल बच गए। खुद को एनआईए/क्राइम ब्रांच दिल्ली का अधिकारी बताकर अपराधियों ने डॉक्टर को करीब डेढ़ घंटे तक डिजिटल अरेस्ट में रखा। उन्होंने दिल्ली के लाल किले पर हुए हालिया बम विस्फोट में फर्जी संलिप्तता बताकर डॉक्टर दंपत्ति को भयभीत कर दिया। परिजनों और परिचितों की समय पर सूझबूझ से मोबाइल बंद कराया गया, अन्यथा अपराधी लाखों रुपए की साइबर ठगी को अंजाम देने ही वाले थे। पीकड़त डॉक्टर ने घटना की शिकायत सायबर सेल में दर्ज कराई है।

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ऐसे हुआ डिजिटल अरेस्ट

पहला कॉल—खुद को एनआइए अधिकारी बताया। डॉ गुप्ता के मोबाइल पर नंबर 6913516533 से कॉल आया। कॉलर ने अपना नाम इंस्पेक्टर कुशल सिंह ट्रस्ट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी दिल्ली बताया। उसने कहा कि लाल किले बम विस्फोट के आरोपी डॉ. अमर अल्वी के ठिकाने से मिली 140 लोगों की सूची में आपका नाम शामिल है। आपकी सिम का दुरुपयोग आतंकियों ने किया है। मामला जम्मू-कश्मीर टेररिज्म केस 017/2025 में दर्ज है। पहले ही कुछ मिनटों में डॉक्टर दंपत्ति डर के घेरे में आ गए। कॉलर ने घर का पता, घर में मौजूद लोगों की जानकारी पूछी और कहा दरवाजे अंदर अंदर से बंद कर लें, किसी से बात नहीं करनी है, बाहर निकले तो गिरफ्तारी होगी। इसी डर में डॉक्टर और उनकी पत्नी पूरी तरह डिजिटल अरेस्ट में फंस गए।

वीडियो कॉल पर शुरू हुआ ठगी का खेल

कुछ देर बाद मोबाइल नंबर 9332893852 से वीडियो कॉल आया। कॉलर ने कहा आपको एनआइए से सुरक्षा प्रमाण-पत्र चाहिए। यह प्रमाणपत्र दो दिन में मिलेगा। इसके लिए बैंक खातों का पूरा विवरण और आधार कार्ड का डिटेल देना होगा। डरे हुए डॉक्टर ने एक खाते में 10 लाख रुपए होने की जानकारी दे दी। अपराधी अन्य खातों का डिटेल और मोबाइल पर आने वाला ओटीपी मांगने ही वाले थे। उन्होंने धमकी दी आप 123 कैमरों की निगरानी में हैं, आपका हर शब्द रिकॉर्ड हो रहा है।

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परिचित पहुंचे घर, तो बची लाखों की ठगी

इसी बीच डॉक्टर गुप्ता के बेटे का फोन आ गया। धमकी के चलते डॉक्टर की पत्नी भी कॉल पर सही तरह बात नहीं कर पा रहीं थीं। व्यवहार से खतरा भांपकर बेटे ने अपने परिचित अभय त्रिसोलिया और अन्य साथियों को तुरंत घर भेजा। वे भागते हुए पहुंचे और दरवाजा खटखटाया। काफी देर बाद डॉक्टर ने दरवाजा खोला। तत्काल अभय ने मोबाइल छीनकर कॉल काट दी और फोन स्विच ऑफ कर दिया। अगर यह मदद देर से पहुंचती, तो करोड़ों की ठगी हो सकती थी।

सायबर सेल में शिकायत, खाते लॉक कराए

शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने बताया यह साइबर ठगी का प्रयास था, अपराधी सफल नहीं हो सके। जिन नंबरों से कॉल आए उनकी जांच की जा रही है। डॉ गुप्ता ने अपने सभी बैंक खातों को लॉक करा दिया है। घटना के बाद से पूरा परिवार सदमे में है, और शहर के डॉक्टरों में भी चिंता का माहौल है। दिल्ली विस्फोट मामले में डॉक्टरों के नाम चर्चा में आने के बाद ठग एनआइए अधिकारी बनकर डॉक्टरों को विशेष रूप से निशाना बना रहे हैं। पहले डराते हैं, फिर डिजिटल अरेस्ट कर बैंक डिटेल लेकर लूट की कोशिश करते हैं। यह घटना साइबर ठगी के नए खतरनाक तरीके की ओर गंभीर संकेत देती है।

वर्जन
एक डॉक्टर दंपत्ति के साथ डिजिटिल अरेस्ट का प्रयास हुआ है। 1930 में शिकायत कराई गई है। जिस नंबर से फोन आया था उसकी जांच कराई जा रही है। डॉक्टर के सूझबूझ के उपयोग से बड़ी घटना से बच गए हैं। लोगों को इसी तरह की जागरुकता से साइबर ठगी से बचना है।
अभिनय विश्वकर्मा, एसपी।