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‘SC/ST कोटा वाली नौकरियों का बड़ा हिस्सा…’, रिटायरमेंट से ठीक पहले CJI गवई ने आरक्षण पर दे दिया बड़ा बयान

CJI Gavai Retirement: सीजेआई गवई ने आरक्षण पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण को उप-वर्गीकृत करने की जरूरत है। ताकि पिछड़े लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिले।

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CJI BR Gavai

भारत के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई (फोटो- एएनआई)

CJI Gavai Retirement: भारत के मुख्य न्यायाधीश BR गवई ने क्रीमी लेयर पर बड़ा बयान दिया है। गवई ने कहा कि यह चिंताजनक है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों (SC-ST) में आर्थिक रूप से संपंन्न लोग जाति को हथियार बनाकर नौकरियों में आरक्षण का बड़ा हिस्सा ले जा रहे हैं। इससे SC/ST के गरीब लोग पिछड़ रहे हैं।

आरक्षण को उप वर्गीकृत करने का आ गया समय

गवई ने कहा कि अब SC/ST में आरक्षण को उप वर्गीकृत करने का समय आ गया है। गवई ने कहा कि ऐसा करने से उन लोगों को बड़ा फायदा मिलेगा, जो आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक रूप से अभी भी पिछड़े हुए हैं। ताकि वह सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ उठा सकें।

CJI गवई की अध्यक्षता वाली 7 जजों की बेंच ने राज्यों को SC समुदायों के भीतर जातियों को सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व के आधार पर उप वर्गीकृत की इजाजत दी थी। उन्होंने कहा कि इस बात को लेकर मुझे मेरे ही समाज के लोगों के आलोचना का शिकार होना पड़ता है, लेकिन मैं यह मानता हूं कि एससी/एसटी समुदायों में क्रीमी लेयर को इन समुदायों में वंचितों के लिए जगह देनी चाहिए।

जस्टिस गवई ने कहा कि यह धारणा बनाना बेहद गलत है कि जज तब ही आजाद है, जब तक वह सरकार के खिलाफ फैसला सुनाता रहे। उन्होंने कहा कि जब तक आप सरकार के खिलाफ फैसला नहीं करते, आप एक स्वतंत्र न्यायाधीश नहीं हैं। यह सही नहीं है। आप यह तय नहीं करते कि मुकदमा दायर करने वाली सरकार है या कोई आम नागरिक। आप अपने सामने मौजूद दस्तावेजों के हिसाब से फैसला करते हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय में किसी न्यायाधीश को स्वतंत्र तभी कहा जाता है, जब फैसला सरकार के खिलाफ दिया गया हो।

जो भी हूं न्यायपालिका के वजह से ही हूं

इससे पहले अपने चीफ जस्टिस ने फेयरवेल स्पीच के दौरान कहा था कि करीब दो दशक तक जज रहने के बाद आज वह जो कुछ भी हैं। वह इस संस्था (न्यायपालिका) की वजह से हैं। चीफ जस्टिस गवई ने कहा, "मुझे देश में ज्यूडिशियरी की इस संस्था का शुक्रिया अदा करना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि म्युनिसिपल स्कूल में पढ़ने से लेकर देश के सबसे ऊंचे ज्यूडिशियल ऑफिस तक पहुंचने का उनका सफर भारत के संविधान और न्याय, स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे के मूल्यों की वजह से मुमकिन हुआ, जिन्होंने उन्हें हर समय गाइड किया।