
राहुल गांधी और मुकेश सहनी (फोटो-X अकाउंट सुप्रिया श्रीनेत - @SupriyaShrinate)
Bihar Elections: सियासत में सारी लड़ाई नैरेटिव की है। एकबार हवा बन गई तो वह सत्ता की कुर्सी तक खुद बहाकर ले जाती है। इसी नैरेटिव को तैयार करने के लिए नेता कभी पानी भरे खेतों में मखाना के किसानों के साथ तो कभी दलितों के साथ चुनावी बेला में दिखते हैं। महागठबंधन के नेता भी 20 बरस से बिहार की राजनीति में धुरी बने नीतीश को सत्ता से हटाने के लिए 2025 के विधानसभा चुनाव में नैरेटिव तैयार करने में जुटे हैं। एक तरफ जहां वह बीजेपी पर नीतीश कुमार और जदयू को हाईजैक करने का इल्जाम लगा रहे हैं तो वहीं दूसरे तरफ MY (मुस्लिम यादव) समीकरण से आगे बढ़ने की कवायद में जुटे हुए हैं। मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम बनाना भी इसी सियासी रणनीति का एक हिस्सा है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने बेगूसराय में बिहार चुनाव के लिए सभा को संबोधित करने के बाद स्थानीय अंदाज में जनता से जुड़ने की कोशिश की। मुकेश सहनी और राहुल गांधी एक तालाब के पास पहुंचे। अपने समुदाय के लोगों को देखते ही सन ऑफ मल्लाह ने तालाब में डुबकी लगाई। इसे देख राहुल ने भी नाव से तलाब में छलांग लगा दी। वहीं, गृह जिला होने के नाते नाव पर मौजूद कन्हैया कुमार भी खुद को रोक नहीं पाए। वह भी पानी में कूद गए। इसके बाद तीनों नेताओं ने मछुआरों के साथ मिलकर जाल से मछलियां पकड़ीं।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर बहुत ज्यादा माथापच्ची हुई थी। मुकेश सहनी 30 सीटों की मांग पर अड़े हुए थे। इसके साथ ही, वह डिप्टी सीएम पद की मांग भी कर रहे थे। एक वक्त तो ऐसा लग रहा था कि मुकेश सहनी गठबंधन से अलग हो सकते हैं लेकिन भाकपा माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हस्तक्षेप के बाद बात बनी। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) प्रमुख सहनी 15 सीटों और एक डिप्टी सीएम पद पर मान गए।
दरअसल, सन ऑफ मल्लाह नाम से फेमस सहनी के पास निषाद वोट बैंक है जोकि EBC का एक बड़ा हिस्सा है। बिहार में EBC की हिस्सेदारी 36.6 फीसदी है। इसमें निषाद समुदाय की आबादी लगभग 9.6% है। निषाद समुदाय में मल्लाह उप-समूह है। इनकी आबादी करीब 2.6% है। मल्लाहों के अलावा निषाद समुदाय में बिंद, मांझी, केवट और तुरहा समूह शामिल हैं। EBC का यह बड़ा वर्ग चुनाव के दौरान किसी एक खेमे में शिफ्ट होता है तो जीत के लिए बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है।
इसके साथ ही, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, मधुबनी, खगड़िया, वैशाली और उत्तर बिहार के कुछ जिलों में भी निषाद वोटर निर्णायक साबित हो सकते हैं। बीते 20 सालों से EBC (अति पिछड़ा वर्ग) नीतीश कुमार की अदृश्य शक्ति मानी जाती है। सोशल इंजीनियरिंग के जरिए वह लव-कुश यानी कोइरी-कुर्मी के साथ-साथ EBC और महिला वोटरों को साधते आए हैं। सहनी के महागठबंधन में शामिल होने से EBC वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना है।
मूल रूप से दरभंगा के रहने वाले मुकेश सहनी कभी बॉलीवुड में सेट डायरेक्टर का काम करते थे। उन्होंने साल 2013 में राजनीति में कदम रखा। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने पीएम मोदी के लिए मल्लाहों को लामबंद किया। इसके बाद सहनी ने जदयू संग अपने रिश्ते बनाए। फिर 2015 में बिहार चुनाव आते-आते सहनी भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में उभरे। साल 2018 में उन्होंने अपनी पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (VIP) बनाई। उसके बाद साल 2019 में वह फिर राजद के खेमे में गए। फिर 2020 विधासनभा चुनाव से पहले NDA में आए। उसके कुछ साल बाद फिर वह महागठबंधन में शामिल हो गए।
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में तेजस्वी महज 12 हजार वोट से सीएम की कुर्सी पर बैठने से चूक गए थे। इस बार वह कोई भी गलती नहीं करना चाहते हैं।
Updated on:
03 Nov 2025 11:53 am
Published on:
03 Nov 2025 11:46 am
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