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प्रशांत किशोर का बड़ा ऐलान: घर छोड़कर पूरी संपत्ति पार्टी को दान, जानें कितनी है कमाई

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, भारत के 75 साल के इतिहास में कभी किसी सरकार ने करोड़ों गरीब परिवारों के वोट 10-10 हजार रुपये में नहीं खरीदे हैं।

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Prashant Kishor

प्रशांत किशोर (ANI Photo)

जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिवसीय मौन व्रत तोड़ा और बिहार की राजनीति में नया तूफान खड़ा कर दिया। पीके ने ऐलान किया कि अगले पांच साल में अपनी आय का 90% और दिल्ली की एक पारिवारिक संपत्ति को छोड़कर अपनी सारी चल-अचल संपत्ति जन सुराज को दान कर देंगे।

'धन की कमी बिहार के सपनों को नहीं तोड़ सकती'

प्रशांत किशोर ने कहा, 'मैं 90% दे रहा हूँ, आपसे 10% भी नहीं मांग रहा। लेकिन जन सुराज से जुड़े हर व्यक्ति से अपील है कि कम से कम 1000 रुपए का दान करें। अगर बिहार के एक करोड़ लोग 1000 रुपए भी दें तो पांच साल तक इस आंदोलन को कोई नहीं रोक सकता।' उन्होंने साफ कहा, 'अब मैं सिर्फ उनसे मिलूंगा और बात करूंगा जो ठोस समर्थन करेंगे। सलाह देने वालों का समय खत्म, संघर्ष का समय शुरू हो गया है।

15 जनवरी से 'बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान'

किशोर ने 15 जनवरी से 15-18 महीने तक चलने वाले राज्यव्यापी बिहार नवनिर्माण संकल्प अभियान का ऐलान किया है। इसका मुख्य उद्देश्य मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की उन लाखों महिलाओं तक शेष 2 लाख रुपये पहुंचाना है, जिन्हें सिर्फ पहले 10,000 रुपये ही मिले। साथ ही जिन गरीबों के वोट कथित तौर पर 10-10 हजार रुपये में खरीदे गए, उनके साथ खड़ा होना और उनकी मदद करना भी लक्ष्य है।

चुनाव में वोट खरीदने का खुला आरोप

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, 'भारत के 75 साल के इतिहास में कभी किसी सरकार ने करोड़ों गरीब परिवारों के वोट 10-10 हजार रुपये में नहीं खरीदे हैं। अगर मैं गलत हूं तो सरकार मेरे खिलाफ मुकदमा करे और मुझे जेल भेज दे।' उन्होंने इसे गरीबों के बच्चों की शिक्षा और रोजगार के सपनों की हत्या बताया।

मंत्रिमंडल पर भी तीखा हमला

नई सरकार के मंत्रिमंडल गठन पर किशोर ने कहा, 'भ्रष्टाचार के आरोपियों और आपराधिक पृष्ठभूमि वालों को फिर मंत्री बनाना बिहार के लोगों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।' गांधी आश्रम से शुरू हुई जन सुराज की यात्रा अब निर्णायक मोड़ पर है। प्रशांत किशोर ने साफ़ कर दिया है, 'अब यह सिर्फ आंदोलन नहीं, बिहार के गरीबों की लड़ाई है। 15 जनवरी से गांव-गांव, घर-घर तक पहुंचने का ऐलान हो चुका है। बिहार की सियासत में नया अध्याय शुरू होने वाला है।


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