
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी (Photo-IANS)
पश्चिम बंगाल में एसआईआर को लेकर राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। प्रदेश में 27 अक्टूबर से अब तक 3 लोगों ने आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि ये तीनों लोग बांग्लादेश से आए हिंदू थे। इसके बाद टीएमसी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया है। टीएमसी ने दावा किया कि इन लोगों ने SIR के कारण यह आत्मघाती कदम उठाया है।
TMC नेता कुणाल घोष ने कहा कि BJP की अमानवीय राजनीति और चुनाव आयोग की मिलीभगत से प्रदेश के लोग डर के साये में है। यहां तक की कुछ लोग डर और निराशा में आत्महत्या तक कर रहे हैं।
तीन लोगों द्वारा आत्महत्या करने के मामले में बीजेपी नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा कि हिंदू शरणार्थियों को एसआईआर से डरने की कोई ज़रूरत नहीं है। वे नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। हम उनकी मदद के लिए शिविर लगा रहे हैं।
बता दें कि 28 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर SIR को लेकर निशाना साधा था। दरअसल, उत्तर 24 परगना जिले में एक व्यक्ति ने आत्महत्या की थी। उसने सुसाइड नोट में NRC को जिम्मेदार ठहराया था।
घटना के बाद सीएम बनर्जी ने कहा था कि केंद्र का असली इरादा एसआईआर के दौरान बंगाल में एनआरसी लागू करना है। हम इसका विरोध करेंगे। बता दें कि वह एसआईआर के खिलाफ 4 नवंबर को कोलकाता में टीएमसी की एक रैली का नेतृत्व करेंगी।
हालांकि यह विवाद उस समय और गहरा हो गया जब बीरभूम जिले के इलमबाजार निवासी व्यक्ति ने आत्महत्या कर ली थी। उनकी पोती ने दावा किया कि वह 30 वर्ष पहले बांग्लादेश से आये थे और इस बात से चिंतित थे कि उनका नाम 2002 की मतदाता सूची में नहीं था।
वहीं 30 अक्टूबर को फिर से सवाल उठे जब उत्तर 24 परगना जिले के टीटागढ़ में एक एक महिला, ने आत्महत्या कर ली थी। 32 वर्षीय यह बांग्लादेशी महिला ने 2010 में यहां आकर एक स्थानीय निवासी से शादी की थी।
हालांकि किसी भी राजनीतिक दल ने इस घटना पर एक शब्द भी नहीं कहा, लेकिन महिला की सास ने मीडिया के सामने दावा किया कि एसआईआर के डर से उसे यह कदम उठाया है।
Published on:
02 Nov 2025 09:13 pm
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