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अलग विचारधारा, इमरजेंसी में शादी; बड़ी रोचक है सुषमा-कौशल की लव स्टोरी, बांसुरी बोलीं-पापा का मां के साथ…

Sushma Kaushal Love Story: सुषमा और कौशल स्वराज की मुलाकात हरियाणा के एक कॉलेज में हुई थी, जहां सुषमा लॉ की स्टूडेंट थीं। जबकि कौशल फैकल्टी मेंबर थे।

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सुषमा स्वराज और कौशल की लव स्टोरी।

Sushma Kaushal Love Story: नई दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज के पिता कौशल स्वराज का गुरुवार को निधन हो गया। इससे राजनीतिक जगत में जहां शोक की लहर है, वहीं सुषमा और कौशल के किस्से लोगों की जुबान पर हैं। भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज भी अपने पिता और माता के साथ बीते दिनों को याद करते हुए भावुक हो गईं। हम इस लेख में सुषमा और कौशल की पहली मुलाकात से लेकर शादी तक पूरी स्टोरी जानेंगे। सुषमा और कौशल की पहली मुलाकात हरियाणा के एसडी कॉलेज में हुई थी, जहां सुषमा लॉ की पढ़ाई कर रही थीं और स्वराज वहां की फैकल्टी से जुड़े हुए थे। वह दोनों अक्सर डिबेट्स और लॉ से जुड़े कार्यक्रमों में हिस्सा लेते थे। दोनों की अलग-अलग विचारधारा थी।

अलग-अलग विचारधारा की बहस प्यार में बदली

इसके बावजूद बहस और तर्क करते-करते दोनों एक-दूसरे के इतना करीब आ गए कि उनमें प्यार हो गया। लेकिन उस समय प्रेम विवाह होना इतनी आसान बात नहीं थी। खासकर लड़की के लिए परिवार से अनुमति लेना बहुत ज्यादा मुश्किल काम होता था। फिर भी दोनों ने हिम्मत दिखाते हुए अपने परिवार वालों को मनाया और13 जुलाई 1975 में इमरजेंसी के दौरान दोनों ने शादी की। इसके बाद सुषमा राजनीति में सक्रिय हो गईं और दिल्ली की सीएम से लेकर भारत का विदेश मंत्रालय तक संभाला। जबकि कौशल स्वराज सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने लगे। हालांकि मात्र 37 साल की उम्र में कौशल मिजोरम के राज्यपाल भी बने। इसके बाद वह राज्यसभा सांसद भी रहे, लेकिन कौशल की राजनीतिक यात्रा ज्यादा लंबी नहीं रही। दोनों ने एक दूसरे को जिंदगी भर साथ दिया, एक दूसरे का सम्मान किया और हर फैसले के साथ खड़े रहे। बाद में उन दोनों के एक बेटी भी हुई, जिसका नाम उन्होंने बांसुरी रखा।

बेटी का बांसुरी नाम रखने के पीछे की सुंदर कहानी

पिछले साल बांसुरी स्वराज के दिए हुए एक इंटरव्यू से पता चला कि उनका नाम यूं ही बांसुरी नहीं रखा गया है। उनके नाम को उनके पिता और मां के प्यार का प्रतीक कहा जा सकता है। उनकी मां सुषमा स्वराज भगवान कृष्ण की भक्त थीं और उनके पिता की इच्छा थी कि उनकी बेटी का नाम संगीत से जुड़े वाद्य यंत्र पर रखा जाए। जब दोनों ने इसके बारे में सोचा तो सुषमा स्वराज ने कहा कि भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय चीज बांसुरी थी। कभी वह उनके होंठों पर रहती थी और कभी उनके कपड़ों में टिकी होती थी। यहां तक कि जब कृष्ण ब्रज छोड़कर गए तो उन्होंने अपनी बांसुरी राधारानी के हाथों में सौंप दी थी। यही सोचकर उनके माता-पिता ने उनका नाम बांसुरी रखा।

दोनों का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज

सुषमा और उनके पति स्वराज कौशल दोनों का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में एक विशिष्ट दंपति के रूप में दर्ज है। इस बुक में मुख्य रूप से उनकी कम उम्र में बेहतर उपलब्धियों की वजह से उनका नाम दर्ज है। सुषमा 25 की उम्र में हरियाणा सरकार में सबसे कम उम्र की कैबिनेट मंत्री बनी थी। वहीं कौशल 37 की उम्र में मिजोरम के राज्यपाल बने थे, जिससे वह भारत के इतिहास में सबसे कम उम्र में राज्यपाल बनने वाले व्यक्ति बने।

दोनों सिधारे परलोक

सुषमा स्वराज 2019 में जब 67 साल की थी, तब उनकी मृत्यु हो गई थी। उनकी मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई थी। वह लंबे समय से अस्वस्थ चल रही थी। 2016 में उनके किडनी ट्रांसप्लांट भी हुआ था। उसके बाद बांसुरी और उसके पिता अकेले रह गए थे। लेकिन आज बांसुरी के पिता कौशल स्वाराज की भी मृत्यु हो गई, जिसकी वजह से बांसुरी के सिर से उनके मां और बाप दोनों का साया हट चुका है।

पिता की मृत्यु के बाद भावुक हुई बांसुरी

स्वराज कौशल की मृत्यु के बाद उनकी बेटी बांसुरी ने अपने सोशल मीडिया 'X' अकाउंट पर लिखा कि उनके पिता का प्यार, अनुशासन, सादगी, देशभक्ति और धैर्य उनके जीवन की ऐसी रोशनी है जो कभी कम नहीं होगी। उन्होंने लिखा कि पिता के जाने से उन्हें बहुत दुख है, लेकिन उन्हें इस बात से सुकून है कि अब उनके पिता, उनकी मां सुषमा स्वराज के साथ फिर से मिल गए हैं और ईश्वर की शरण में शांत हैं। बांसुरी ने यह भी कहा कि उनके लिए अपने पिता की बेटी होना सबसे बड़ा सम्मान है और अब उनके पिता की सोच, मूल्य और आशीर्वाद ही उनके आगे के सफर की ताकत बनेंगे।