
पिण्डवाड़ा. पहाड़ी के ऊपर पुराना माताजी का मंदिर।
पिण्डवाड़ा. क्षेत्र के आरासणा गांव के पास पहाड़ियों से घिरा शक्ति स्वरूपा मां आरासणा अंबाजी मंदिर जन-जन की आस्था का केन्द्र है। मंदिर में मां अम्बे के नाभि की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यहां भक्त सच्चे मन से निस्वार्थ भाव से जो भी मन्नत मांगते हैं, मां उन्हें निराश नहीं करतीं।
कहा जाता है कि द्वापर युग में जब भगवान शिव, मां पार्वती के सती होने पर ले जा रहे थे, तब मां पार्वती के अंग धरती पर गिर रहे थे। तब मां पार्वती के नाभि वाला अंग आरासणा की पहाड़ियों पर गिरा था।
मंदिर के पुजारी के अनुसार मां अम्बे की नाभि गिरने के बाद आरासणा मंदिर की स्थापना हुई। यहां आस-पास के लोग मां अम्बे की पूजा-अर्चना के लिए पहाड़ पर आते थे, जिसमें माली समाज की बुजुर्ग महिला दारमी बेन सोलंकी, जो मां अम्बे की परम भक्त थीं। वे प्रतिदिन पहाड़ पर चढ़कर मां अम्बे के पूजा करती थीं।
नवरात्र में नौ दिन श्रद्धालु दूर-दूर से पैदल यात्रा के रूप में ध्वजा लेकर माताजी के दर्शन करने आते हैं। नवरात्र में माता के दर्शनार्थ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। हर वर्ष नवरात्र में माताजी के मंदिर को आकर्षक रोशनी से सजाया जाता है और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा -अर्चना की जाती है। गरबा का आयोजन होता है।
आरासणा अंबाजी तीर्थ धाम के नजदीकी महाराणा प्रताप हवाई अड्डा उदयपुर है, जो मंदिर से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। उदयपुर से पिण्डवाडा तक बस से भी पहुंच सकते हैं। सिरोही से भी पिंडवाड़ा तक बस सुविधा उपलब्ध है। आरासुरी अंबाजी तीर्थ धाम के नजदीक रेलवे स्टेशन पिण्डवाडा है, जो लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पिण्डवाडा से आरासणा अंबाजी तीर्थ धाम के लिए टैक्सी, ऑटो रिक्शा परिवहन के लिए वाहन मिल जाते हैं।
Published on:
24 Sept 2025 03:54 pm
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