
Dandaroa Government Public Trust
हाईकोर्ट की एकल पीठ ने दंदरौआ सरकार पब्लिक ट्रस्ट से जुड़े जमीन विवाद में भिंड कलेक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने पेश किए झूठ हलफनामे पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने मुख्य सचिव और कमिश्नर से पूछा है कि क्या वे ऐसे अधीनस्थ अधिकारियों से संतुष्ट हैं जो वरिष्ठ अधिकारियों की प्रतिष्ठा को चोट पहुंचाने से भी नहीं हिचकते। कोर्ट ने संकेत दिया कि यदि मुख्य सचिव, मध्य प्रदेश राज्य और आयुक्त, चंबल संभाग, मुरैना श्री मीणा के आचरण से प्रसन्नता व्यक्त करते हैं, तो यह न्यायालय न्यायालय की अवमानना के लिए कार्यवाही नहीं करेगा।
सुनवाई के दौरान कलेक्टर मीना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़े और उन्होंने अपने हलफनामे में कहा कि प्रकरण को 11 अप्रैल 2025 को कमिश्नर चंबल संभाग को भेजा गया और वहीं लंबित है। लेकिन 11 नवंबर को मुरैना कलेक्टर एवं कमिश्नर (अतिरिक्त प्रभार) लोकेश जांगिड ने कोर्ट को बताया कि कमिश्नर कार्यालय ने दस्तावेज़ों और प्रस्तावित आरोपों की कमी पर यह मामला दो बार भिंड कलेक्टर को वापस भेज दिया था। कोर्ट ने कहा कि मीना ने यह तथ्य जानबूझकर छिपाया है और उनका 10 नवंबर को दायर हलफनामा झूठा है, वह भी स्वयं की जानकारी में। अदालत ने इस प्रवृत्ति को वरिष्ठ कार्यालयों की गरिमा को प्रभावित करने वाला बताया।
एसडीएम नवनीत शर्मा का जवाब भी असंतोषजनक
सिर्फ कलेक्टर ही नहीं, बल्कि मेहगांव एसडीएम नवनीत शर्मा की ओर से दिए गए स्पष्टीकरण को भी कोर्ट ने असंतोषजनक माना। कमिश्नर चंबल संभाग को निर्देश दिया गया है कि वे तय करें कि एसडीएम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई आवश्यक है या नहीं और इस संबंध में रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत की जाए।
-सरकार की ओर से सरकारी वकील ने बताया कि तत्कालीन तहसीलदार राजनारायण खरे को 16 नवंबर को निलंबित कर दिया गया है और उनके विरुद्ध विभागीय जांच दो माह में पूरी की जाएगी। कोर्ट ने कलेक्टर मीना की अगली पेशी से व्यक्तिगत उपस्थिति पर छूट प्रदान की है। सभी पक्षों की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को होगी।
क्या है मामला
दरअसल दंदरौआ सरकार को प्लांटेशन के लिए सरकारी जमीन पट्टे पर दी गई थी। करीब 55 हेक्टेयर भूमि की तहसीलदार ने खसरे में इंट्री कर दी। इस मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को मिली तो सामने आया कि तहसीलदार ने गलत इंट्री की है। कलेक्टर ने पट्टा निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ संभागायुक्त के यहां अपील दायर की। संभागायुक्त ने कलेक्टर का आदेश निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में पिटीशन लगाई गई। कोर्ट ने पूछा था कि इतनी देर से पिटीशन क्यों दायर की है, जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई कर रहे हैं।
Published on:
19 Nov 2025 11:02 am
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