Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

बिहार विधानसभा चुनाव: मुफ्त योजनाओं पर तेजस्वी का नीतीश सरकार पर हमला, पूछा कहां से आएगा इतना पैसा?

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार की ओर की जा रही घोषणाओं पर शनिवार को तेजस्वी यादव ने नीतीश सरकार से पूछा इसके लिए पैसा कहां से आएगा?

3 min read
Google source verification

तेजस्वी यादव

बिहार में विधानसभा चुनाव के करीब जैसे जैसे करीब आ रहा है मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की घोषणाएं बढ़ती जा रही है। नीतीश कुमार हर दिन एक योजना की घोषणा कर रही है। शनिवार को नेता प्रतिपक्ष इसपर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि नीतीश कुमार जो घोषणा कर रही है उसको पूरा करने के लिए पैसा कहां से आएगा?

कहां से आएगा पैसा?

उन्होंने आगे कहा कि मई से सितंबर तक पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की ओर से 7 लाख 8 हज़ार करोड़ से ज्यादा की घोषणा कर दी गई है। जबकि बिहार का इस वित्तीय वर्ष में बजट 3 लाख 17 हजार करोड़ था। जुलाई में 51 हजार करोड़ का सप्लीमेंट्री बजट और फिर 20 हजार करोड़ का और ऐलान किया गया। यानी कुल 3 लाख 95 हजार करोड़ का बजट सरकार के पास है। अगर इसमें से 2 लाख करोड़ पहले से कमिटेड खर्च है, तो स्कीमों के लिए 1 लाख 95 हजार करोड़ बचता है।

सरकार का क्या है प्लान

तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जब नीतीश सरकार के पास स्कीमों के लिए 1 लाख 95 हजार करोड़ है। तो बिहार सरकार 7 लाख 8 हजार करोड़ से ज्यादा की घोषणा क्यों कर रही है? सरकार का इस प्रकार की घोषणाओं का क्या उदेश्य है? इसको पूरा करने के लिए सरकार के पास क्या विजन है? उन्होंने कहा कि ये चुनावी घोषणा है या फिर सरकार के पास इसके लिए कोई और प्लान है? सरकार को यह शेयर करना चाहिए क्योंकि सरकार की ये घोषणायें चुनाव के बाद जमीन पर उतरती नहीं दिख रही है।

भारी-भरकम बोझ

नीतीश सरकार ने पिछले छह महीनों में कई लुभावनी योजनाओं की घोषणा की है, जिनमें मुफ्त बिजली, बेरोज़गार युवाओं को भत्ता,और महिलाओं व मज़दूरों को नकद सहायता शामिल है। चुनावी साल में नीतीश सरकार की ये घोषणायें जनता के लिए सीधे राहत पहुँचाने वाला कदम है। लेकिन, इसका भारी-भरकम बोझ सीधे राज्य के बजट पर पड़ेगा।

नीतीश सरकार की चर्चित घोषणाएं

राजकोषीय घाटा

2025-26 के आंकड़े बताते है कि बिहार सरकार राजकोषीय घाटा 3% जीएसडीपी तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा है। इसी प्रकार से राजस्व अधिशेष को भी यही दिखाने का लक्ष्य रखा है। 2024-25 की बात करें तो यह घाटा अचानक 9% से ऊपर पहुँच गया था। इससे साफ है कि बिहार सरकार के बजट का पिछला बुनियाद कमजोर है। इसके बाद नीतीश सरकार की ओर से मई से सितंबर तक मुफ्त बिजली और नकद भत्तों जैसी जो घोषणाएं की है इससे कम से कम 9 से 12 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च होने की संभावना है।

महिला रोजगार येजना

बिहार सरकार ने 1.5 करोड़ महिलाओं के खाते में पहली किस्त के तौर पर 10-10 हजार रुपये भेजने का लक्षय रखा है। लेकिन, अभी मात्र 75 लाख महिलाओं के खाते में योजना का पैसा भेजा गया है। इसपर करीब 75000 करोड़ अतिरिक्त बोझ पड़ा है। सरकार अगर अपने लक्ष्य को पूरा करेगी अर्थात 1.5 करोड़ महिलाओं के खाते में पैसा भेजती है तो करीब 15,000 करोड़ रुपया खर्च होगा। यह राशि 10 हजार रूपया देने पर है। जबकि बिहार सरकार आगे चलकर कुछ चयनित महिलाओं को 2 लाख रुपये तक की सहायता देने की बात कर रही है। इससे साफ है कि इस योजना से सरकार पर बोझ और बढ़ सकता है।

बेरोजगार युवाओं पर होगा बड़ा खर्च

नीतिश सरकार ने घोषणा किया है कि स्नातक बेरोजगार युवाओं को दो साल तक हर महीने ₹1,000 रुपये दिए जाएंगे। इसको लेकर अगर 10 लाख युवाओं ने आवेदन किया तो सालाना खर्च लगभग ₹1,200 करोड़ होगा। और अगर संख्या दोगुनी हुई तो यह बोझ ₹2,400 करोड़ तक पहुंच सकता है।

मजदूरों को 5,000 रुपये का वस्त्र-भत्ता

नीतीश सरकार ने 17 सितंबर को अगली बड़ी घोषणा मजदूरों को लेकर की है। निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों को 5,000 रुपये वस्त्र-भत्ता के रूप में 802 करोड़ रुपये डीबीटी के रूप में ट्रांसफर किए गए हैं। इसके साथ ही सरकार ने आंगनबाड़ी, आशा और स्वास्थ्यकर्मियों के लिए भत्ता और इंसेंटिव बढ़ाने की घोषणा की है। विकास मित्रों और शिक्षा सेवकों को स्मार्टफोन, टैबलेट और भत्ता—इसका बोझ भी राजस्व खर्च में शामिल होगा। सरकार के इस फैसले से कर्ज बढ़ेगा और विकास योजनाएं प्रभावित होगी।