
लाल–काला–सफेद–हरा चावल उगाकर बनाई पहचान... ध्रुवराम की अनोखी खेती, HMT से कमा रहे लाखों(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में जैविक खेती के क्षेत्र में जिले के ग्राम सनौद निवासी किसान ध्रुवराम साहू ने ऐसा मुकाम बनाया है, जिसकी चर्चा अब प्रदेश से बाहर तक होने लगी है। लाल, काले, सफेद और हरे रंग के चावल उगाकर अपनी अनूठी पहचान बनाने वाले ध्रुवराम अब तीन एकड़ जमीन में एचएमटी धान की पूर्ण जैविक खेती कर रहे हैं।
उनके द्वारा उत्पादित लाल और काले चावल की मांग ऑस्ट्रेलिया तक पहुंची। यह चावल 7,000 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर बिका। ध्रुवराम बताते हैं कि प्रति एकड़ 8-9 क्विंटल उत्पादन होता है, जिसे मिलिंग के बाद दिल्ली की टीम के माध्यम से विदेश भेजा जाता है।
हालांकि लाल, काले और हरे चावल का स्थानीय बाजार सीमित होने के कारण उन्होंने इनका रकबा घटाकर अब पूरी तरह जैविक एचएमटी चावल पर ध्यान केंद्रित कर दिया है, जिससे उन्हें कम लागत में लाखों की आमदनी हो रही है। ध्रुवराम के खेत और चावल की जांच जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र, दिल्ली की टीम ने जांच के बाद उन्हें जैविक कृषि प्रमाणपत्र जारी किया।
जैविक क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें हाल ही में महाराष्ट्र के वर्धा में ‘उत्कृष्ट कृषक सम्मान’ दिया गया है। इसके अलावा राज्य और जिला स्तर पर भी कई सम्मान उन्हें मिल चुके हैं।
पहले ध्रुवराम अपनी जैविक उपज रायपुर और बिलासपुर की विभिन्न कंपनियों को बेचते थे, जहां उनकी मेहनत की फसल दूसरे ब्रांड नामों से बाजार में पहुंचती थी। लेकिन अब उन्होंने अपने अनुभव और पहचान को नई दिशा देते हुए ‘सर्वोदय कृषक प्रोडक्शन लिमिटेड’ के नाम से अपना खुद का ब्रांड विकसित कर लिया है।
इससे न केवल उनकी उपज का सीधा मूल्यांकन बढ़ा है, बल्कि पैकेजिंग, मार्केटिंग और ब्रांड वैल्यू भी उनके नियंत्रण में आ गई है। ध्रुवराम का कहना है कि वर्षों तक दूसरों के नाम से अपनी जैविक फसलों को बाजार में जाते देख उन्होंने तय किया कि अब समय अपने ब्रांड को स्थापित करने का है। आज उनकी पहल न सिर्फ उनके आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बनी है, बल्कि आसपास के किसानों को भी जैविक खेती और ब्रांडिंग की ओर प्रेरित कर रही है।
ध्रुवराम अधिकांश जैविक दवाइयां और खाद अपने घर पर ही तैयार करते हैं, जबकि कुछ आवश्यक सामग्री वे बाहर से मंगाते हैं। जैविक खेती के प्रति उनकी यह प्रतिबद्धता उन्हें क्षेत्र में एक मिसाल बनाती है। जिला कृषि उपसंचालक आशीष चंद्राकर ने बताया कि ध्रुवराम साहू जैविक खेती का उत्कृष्ट उदाहरण हैं और उनकी पहल अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है।
उन्होंने कहा कि किसानों को रासायनिक खेती के साथ-साथ जैविक मॉडल भी अपनाना चाहिए, जिसके लिए शासन की ओर से अनुदान और आवश्यक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
ध्रुवराम कहते हैं कि तीन एकड़ जैविक खेती में उनका खर्च मात्र 40-45 हजार रुपए आता है, जबकि पांच महीने में ही करीब दो लाख रुपए का लाभ हो जाता है। उनका मानना है कि जैविक फसल न केवल अधिक लाभ देती है, बल्कि इसके उपभोग से स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है। उनके पास कुल 10 एकड़ जमीन है, जिसमें से तीन एकड़ पर वे जैविक खेती करते हैं। वे विभिन्न कृषि शिविरों में अपनी फसलों की प्रदर्शनी लगाकर किसानों को जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
Updated on:
25 Nov 2025 11:50 am
Published on:
25 Nov 2025 11:46 am
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