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अब्राहम समझौते में कजाकिस्तान भी होगा शामिल, जानिए कैसे मुस्लिम वर्ल्ड संग इजरायल के सुधरेंगे रिश्ते

इजरायल और मुस्लिम वर्ल्ड के बीच संबंध सुधारने की कोशिश में अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने बड़ी सफलता हासिल की है। जानिए क्या है अब्राहम समझौता, जिसमें अब कजाकिस्तान भी होगा शामिल...

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अब्राहम समझौते में कजाकिस्तान भी होगा शामिल (फोटो-X@DigitalGal_X)

फिलिस्तीन के गाजा में हमास और इजरायल के बीच सीजफायर हो गया है। मिस्र की राजधानी काहिरा में 20 से अधिक देशों की मौजूदगी में शांतिवार्ता समझौता हुआ। मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, यह समझौता 9 अक्टूबर को मिस्र, अमेरिका, कतर और तुर्की की मध्यस्थता से हुआ था। इसमें सभी देशों ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि युद्ध विराम कायम रखा जा सके, बंधकों की अदला-बदली पूरी हो, इजरायली सेनाएं पीछे हटें और मानवीय सहायता गाजा पट्टी तक पहुंच सके। इसके बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार इजरायल और मुस्लिम वर्ल्ड के साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। इस कड़ी में ट्रंप को बड़ी सफलता हाथ लगी है।

अब्राहम समझौते में शामिल होगा कजाकिस्तान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि कजाकिस्तान, इजरायल और मुस्लिम बहुल देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने के लिए अब्राहम समझौते में शामिल होगा। ट्रंप ने यह ऐलान इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और कजाकिस्तान के राष्ट्रपति कासिम-जोमार्ट तोकायेव के साथ बातचीत के बाद की है। ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर लिखा कि हम जल्द ही इसे आधिकारिक बनाने के लिए एक हस्ताक्षर समारोह की घोषणा करेंगे। इस क्लब में कई अन्य देश भी शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं।

अब्राहम समझौता अंतिम चरण में

ट्रंप के बयान पर कजाकिस्तान की सरकार ने भी सकारात्मक रुख दिखाया। कजाक सरकार ने कहा कि अब्राहम समझौते को लेकर बातचीत अंतिम चरण में है। कजाक सरकार ने कहा कि अब्राहम समझौते में हमारा प्रत्याशित प्रवेश, कजाकिस्तान की विदेश नीति की एक स्वाभाविक और तार्किक निरंतरता का प्रतिनिधित्व करता है, जो बातचीत, आपसी सम्मान और क्षेत्रीय स्थिरता पर आधारित है। कजाकिस्तान और इजरायल के बीच संबंध पहले से स्थापित हैं। अजरबैजान और उजबेकिस्तान जैसे अन्य मध्य एशियाई देश, जिनके इजरायल के साथ घनिष्ठ संबंध हैं। उनकी भी अब्राहम समझौते में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

दरअसल, ट्रंप मुस्लिम वर्ल्ड के साथ-साथ मध्य एशियाई देशों किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान को भी अपने पाले में करना चाहते हैं। दरअसल, ये देश लंबे समय तक सोवियत संघ का हिस्सा थे। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद ये अलग हुए, लेकिन अभी भी इन पर रूस का प्रभाव है। इसके साथ ही, चीन भी लगातार मध्य एशियाई देशों में अपने पैठ मजबूत करने में जुटा हुआ है।

क्या है अब्राहम समझौता

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में अब्राहम समझौता मध्य पूर्व में शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए साल 2020 में हुआ था। इस समझौते के जरिए संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने इजरायल के साथ राजनयिक संबंध बहाल किए थे। बाइबिल के पितृपुरुष अब्राहम (अब्राहम) के नाम पर रखा गया है, जिन्हें यहूदियों और अरबों (मुस्लिमों) का साझा पूर्वज माना जाता है, जो भाईचारे का प्रतीक है।