Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

जब मस्क के चलते नासा में मच गई थी उथल-पुथल, अब ट्रंप ने हजारों नौकरियों पर चलाई कैंची! डर में कई अधिकारी

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नासा (NASA) के बजट में 25% की कटौती की है, जिसका सीधा असर विज्ञान, सैटेलाइट डेवलपमेंट और क्लाइमेट रिसर्च जैसे अहम क्षेत्रों पर पड़ रहा है।

5 min read
Google source verification

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। फोटो- (The Washington Post)

नासा (NASA) को पिछले 13 सालों से लगातार बड़े सरकारी विभागों में 'सर्वश्रेष्ठ काम करने की जगह' चुना गया है। लेकिन जब से राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दूसरी बार अमेरिका की सत्ता में काबिज हुए हैं, तब से इस एजेंसी में काम करने वाले लोगों की संख्या में लगातार कमी देखी जा रही है।

ट्रंप ने नासा के बजट में 25 प्रतिशत की कटौती की है, जिसका सीधा असर विज्ञान, सैटेलाइट डेवलपमेंट और क्लाइमेट रिसर्च जैसे अहम क्षेत्रों पर पड़ रहा है। इस कटौती के चलते नासा में दो हजार से अधिक वरिष्ठ वैज्ञानिकों और कर्मचारियों की छंटनी कर दी गई है।

आने वाले समय में देखने को मिल सकता है बड़ा प्रभाव

इससे अंतरिक्ष अनुसंधान और मिशनों पर आने वाले कुछ समय में बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा। इस मामले में ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम सरकारी खर्च कम करने और निजी अंतरिक्ष कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है।

वहीं, कार्रवाई के डर से नाम न छापने की शर्त पर एक दर्जन से अधिक वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों ने बताया कि कई महीनों से नासा में उथल-पुथल का माहौल बना है। कई तरह के बड़े बदलाव भी किए गए हैं।

काम ठप होने का सता रहा डर

इस मामले में गैर-लाभकारी संस्था प्लैनेटरी सोसाइटी में सरकारी संबंधों के निदेशक जैक किराली ने कहा कि ऐसे लोग हैं जो एजेंसी, अपने ठेकेदार और अपनी कंपनी के साथ अपने भविष्य को लेकर सवाल उठा रहे हैं। उन्हें डर है कि उनका काम किसी भी समय ठप हो सकता है।

किराली ने उन हजारों छात्रों के लिए भी चिंता जताई, जो विज्ञान के क्षेत्र से नए बदलाव के बाद दूरी बना सकते हैं। वह नासा और अन्य विज्ञान एजेंसियों में हुई उथल-पुथल के कारण हतोत्साहित हो सकते हैं।

अंतरिक्ष मिशनों के लिए बढ़ रहा जोखिम

360 से ज्यादा पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों ने एक पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। जिसमें चिंता जताई गई है कि कटौती और बड़े पैमाने पर कर्मचारियों के जाने से अंतरिक्ष मिशनों के लिए सुरक्षा जोखिम बढ़ रहे हैं।

नासा के एक कर्मचारी ने कहा- मुझे लगता है कि नासा हमेशा से एक असाधारण एजेंसी रही है, जिसमें असाधारण लोग असाधारण काम करते रहे हैं। फिर भी हम लगातार बर्बाद होते जा रहे हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि हमें इस मुकाम तक पहुंचना पड़ा?

नासा की प्रवक्ता ने कहा- बदलाव को गलत तरह से पेश किया जा रहा

नासा की प्रवक्ता बेथानी स्टीवंस ने कहा कि एजेंसी में बदलाव और कटौतियों को गलत तरीके से पेश किया गया है। कोई भी सुरक्षा को कमतर नहीं आंक रहा है। उन्होंने कहा- नासा अपने मिशन के प्रति प्रतिबद्ध है क्योंकि हम एक अधिक प्राथमिकता वाले बजट के भीतर काम कर रहे हैं।

मई में, ट्रंप ने नासा के लिए 18.8 बिलियन डॉलर का बजट प्रस्तावित किया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25 प्रतिशत कम है। प्लैनेटरी सोसाइटी के अनुसार, 1961 में मानव अंतरिक्ष उड़ान की शुरुआत के बाद से नासा का यह सबसे छोटा बजट है।

हालांकि, संसद ने किसी भी बजट को मंजूरी नहीं दी है। कई पूर्व और वर्तमान कर्मचारियों का कहना है कि नासा का नेतृत्व इस तरह काम कर रहा है मानो राष्ट्रपति का प्रस्ताव लागू हो।

कर्मचारियों ने क्या कहा?

कर्मचारियों ने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर वापस भेजने के काम पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। इस बीच, राष्ट्रपति के बजट में 40 से अधिक मौजूदा और नियोजित अंतरिक्ष मिशन को बंद करने की भी चेतावनी दी गई है।

वही, स्टीवंस ने इसपर सफाई देते हुए कहा कि नासा में पहले से यह स्पष्ट रहा है कि संसद द्वारा की गई कार्रवाई के आधार पर, एजेंसी को विभिन्न परिदृश्यों के लिए तैयार रहना चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसा कोई दिशानिर्देश नहीं दिया गया है जिसमें कहा गया हो कि राष्ट्रपति के अनुरोध पर संसद द्वारा बजट की अनुमति मिलने से पहले नासा के लिए परिचालन योजना बन जाएगा।

कई लोग काम छोड़कर गए?

नासा ने जुलाई के अंत में बताया कि कम से कम 4,000 सिविल कर्मचारी नासा छोड़कर चले गए। अगर जाने वाले ठेकेदारों को भी इसमें शामिल कर लिया जाए, जो नासा के कार्यबल का एक बड़ा हिस्सा हैं, तो यह संख्या और भी ज्यादा है।

प्लैनेटरी सोसाइटी के अनुसार, एजेंसी ने 1960 के बाद से इतने कम कर्मचारी कभी नहीं देखे हैं। कुछ कर्मचारियों ने नाम न बताने की शर्त पर यह भी बताया कि एजेंसी में उनका वेतन कम कर दिया गया था।

इसके साथ यह भी कहा गया था कि अगर वे पैकेज स्वीकार नहीं करते हैं तो उन्हें फिर से नियुक्त किया जा सकता है। इसके अलावा, उनका ट्रांसफर भी किया जा सकता है या सेवानिवृत्ति लाभों से वंचित किया जा सकता है।

कर्मचरियों ने कहा- नहीं थी कभी ऐसी उम्मीद

नासा के लगभग हर विभाग से कर्मचारी जा चुके हैं। कई जाने वाले कर्मचारी बहुत सीनियर थे, जिनके पास बड़ा अनुभव था। एक कर्मचारी ने कहा- किसी को विश्वास नहीं था कि नौकरियों में और कटौती होगी।

कुछ अधिकारियों ने बताया कि नासा का माहौल भी तब से बदलने लगा जब मशहूर बिजनेसमैन एलन मस्क ने इस साल की शुरुआत में DOGE सेवा शुरू की और एजेंसी में प्रतिनिधि भेजे।

कुछ निर्देश असामान्य थे। कुछ बड़ी कार्रवाइयों ने एजेंसी के काम को प्रभावित किया। नासा के खगोल जीव विज्ञान रणनीति के वरिष्ठ वैज्ञानिक डेविड ग्रिनस्पून ने बताया कि कुछ कर्मचारियों को पहले से दिए जा चुके लगभग 5,000 विज्ञान अनुदानों का फिर से मूल्यांकन करना पड़ा। कुछ ही दिनों में, उन्हें और उनके सहयोगियों को यह तर्क देना पड़ा कि अनुदान जनता के लिए कैसे उपयोगी थे।

ग्रिनस्पून सितंबर के अंत में नासा से अलग हो गए थे, उन्होंने कहा- माहौल और लहजे में बदलाव परेशान करने वाला था। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट नहीं था कि निर्देश कहां से आ रहे थे और क्यों मजबूर किया जा रहा था।

उन्होंने कहा- नासा के बारे में एक बात जो मुझे हमेशा से पसंद रही है, वह है टीम वर्क की भावना और लोगों का मिशन-केंद्रित होना। लेकिन कुछ बदलाव के चलते यह विश्वास धीरे-धीरे कम होने लगा।

नासा में कटौती का प्रभाव

नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज, जो जलवायु परिवर्तन पर काम करता है, उसे नुकसान के चलते न्यूयॉर्क शहर में अपनी बिल्डिंग गंवानी पड़ी है। इस कटौती का नासा मुख्यालय पर गहरा असर पड़ा है।

मुख्य वैज्ञानिक कार्यालय के बाद प्रौद्योगिकी व नीति कार्यालय और विविधता एवं समान अवसर कार्यालय के शाखा को बंद कर दिया गया है।

वाशिंगटन के अलावा, कैलिफोर्निया स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला, जहां मंगल और पृथ्वी विज्ञान पर काफी शोध होता है, वहां से अक्टूबर में 550 लोगों को नौकरी से निकाल दिया। इसके निदेशक ने जून में अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

शायद सबसे बड़ी छंटनी मैरीलैंड स्थित नासा गोडार्ड में हुई है। ऐसा अनुमान है कि अगर राष्ट्रपति के बजट का पूरी तरह से पालन किया जाता है तो केंद्र अपने लगभग आधे सरकारी कर्मचारियों को खो सकता है। कर्मचारियों का कहना है कि उनका मनोबल काफी गिर गया है।

संबंधित खबरें