
राजसमंद में पहली बार नागपुर के संतरे की खेती, पत्रिका फोटो
Nagpur oranges cultivated first time in Rajsamand: राजसमंद। बदलते मौसम, बढ़ती लागत और अनिश्चित बाजार भावों के बीच किसान जहां पारंपरिक खेती में लाभ की चुनौती से जूझ रहे हैं, वहीं राजसमंद जिले में आमेट क्षेत्र के प्रगतिशील किसान नेनूराम जाट (ग्राम डूंगाखेड़ा, पंचायत औलना खेड़ा) ने अपनी सोच और नवाचार से दूसरों के लिए प्रेरक उदाहरण पेश किया है। उद्यानिकी विभाग के सहयोग से नेनूराम ने जिले में पहली बार व्यावसायिक स्तर पर नागपुर संतरों का बगीचा विकसित किया है, और आज उनका बगीचा राजसमंद जिले सफलता की कहानी लिख रहा है।
नेनूराम ने करीब 2.0 हेक्टेयर क्षेत्र में संतरे का बगीचा लगाया। उनका बगीचा आज पूरी तरह सफल है और प्रत्येक पौध से 40-50 किलो संतरे की पैदावार मिल रही है। यही नहीं, उन्होंने वाणिज्यिक समझदारी भी दिखाई। पेड़ों की कतारों के बीच की खाली जमीन पर चना बोकर भूमि की उर्वरकता बढ़ाई, साथ ही अतिरिक्त आय भी प्राप्त की। नेनूराम जाट का यह नवाचार बताता है कि आज खेती केवल गुज़ारा नहीं, बेहतरीन व्यवसाय भी बन सकती है, यदि वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएं, उद्यानिकी और फलोद्यान पर ध्यान दिया जाए।
नेनूराम बताते हैं कि अब तक वे गेहूं, चना, मक्का जैसी पारंपरिक फसलों की खेती करते थे। मेहनत तो थी, लेकिन मौसम की अनिश्चितता, बाजार दरों में उतार-चढ़ाव के कारण मुनाफा उम्मीद के मुताबिक नहीं मिल रहा था। इसी दौरान उद्यान विभाग के अधिकारी अशोक कुमार मीणा ने उन्हें विभागीय योजनाओं की जानकारी दी, जिसके बाद उन्होंने संतरों की बागवानी शुरू करने का निर्णय लिया।
नेनूराम जाट ड्रिप इरिगेशन से पानी बचाते हैं, रसायनों से दूरी बनाकर जैविक तरीके से संतरे का उत्पादन कर रहे हैं। सबसे खास बात ये हैं कि उन्हें अब अपनी मेहनत का पूरा मूल्य मिल रहा है, क्योंकि वह संतरे अपने तय दाम पर बेच रहे हैं और अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
उद्यान विभाग द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत फलोद्यान स्थापना पर 40 से 50 प्रतिशत तक अनुदान उपलब्ध है। इसलिए विभाग का किसानों से अनुरोध है कि वे आगे आएं और फल बगीचा स्थापित कर गारंटीड स्थिर आय का आधार बनाएं।
कल्प वर्मा, उप निदेशक, उद्यान विभाग, राजसमंद
Published on:
23 Nov 2025 09:49 am
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