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जब उम्मीद लौटी इन घरों में: भारत विकास परिषद ने थामे 11 जरूरतमंद परिवारों के हाथ

राजसमंद की ताजी हवा में रविवार को करुणा की एक ऐसी लहर बही, जिसने 11 निराश्रित परिवारों के जीवन में उम्मीद की लौ जला दी।

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Bharat Vikas Parishad news

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राजसमंद. राजसमंद की ताजी हवा में रविवार को करुणा की एक ऐसी लहर बही, जिसने 11 निराश्रित परिवारों के जीवन में उम्मीद की लौ जला दी। कोई विधवा माँ जो अब तक अपने बच्चों के लिए दो वक्त की रोटी के संघर्ष में थी, कोई अपंग पुत्र जिसकी दुनिया सिर्फ चार दीवारों में सिमटी थी। उन सबके जीवन में अब एक नया सवेरा आया है। देव हेरिटेज वाटिका, 100 फीट रोड पर जब भारत विकास परिषद, राजसमंद शाखा ने ‘निराश्रित परिवार गोद संकल्प कार्यक्रम’ आयोजित किया, तो मंच से केवल भाषण नहीं, बल्कि संवेदना, सम्मान और सहारा बंटा।

सहयोग से स्वावलंबन, संवेदना से आत्मनिर्भरता की ओर

परिषद की पहल ‘सहयोग से स्वावलंबन’ केवल राहत बाँटने का कार्यक्रम नहीं, बल्कि जीवन को नई दिशा देने का प्रयास है। शाखा अध्यक्ष महेंद्र कोठारी ने बताया कि दो महीनों तक एक विशेष समिति ने गांव-गांव जाकर ऐसे परिवारों की पहचान की, जो जीवन की लड़ाई अकेले नहीं लड़ पा रहे थे। हमने ऐसे घर खोजे, जहाँ अब कमाने वाला कोई नहीं था, या फिर जिनके बच्चे निशक्त हैं और मां अकेले संघर्ष कर रही है,” कोठारी ने कहा। इनमें से कई परिवारों में विधवाएँ हैं, जिनके चेहरे पर आज पहली बार मुस्कान लौटी है। परिषद ने इन सभी परिवारों को एक वर्ष तक नियमित भरण-पोषण, शिक्षा-सहयोग और स्वरोजगार संसाधन देने का संकल्प लिया है।

राशन से ज्यादा: यह था सम्मान और अपनापन

जब मंच पर परिषद के सदस्यों ने परिवारों को राशन, दीपावली पूजन सामग्री, मिठाई और गृह उपयोगी वस्तुएँ सौंपीं, तो वहाँ मौजूद हर व्यक्ति की आँखों में नमी थी। यह सिर्फ वस्तुएँ नहीं थीं, बल्कि समाज की ओर से एक संदेश था तुम अकेले नहीं हो। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांतीय सेवा प्रकल्प सह-प्रमुख नरेन्द्र, समाजसेवी विनोद पारीक, प्रांतीय उपाध्यक्ष सतीश तापड़िया, जिला समन्वयक नवीन असावा और शाखा अध्यक्ष महेंद्र कोठारी ने सभी परिवारों को सस्नेह यह सामग्री भेंट की।

समाज में संवेदना जगाने की पहल

कार्यक्रम के दौरान शाखा सचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य केवल मदद करना नहीं, बल्कि समाज में “सहभागिता की भावना” जगाना है। हर व्यक्ति किसी एक परिवार का संबल बन सकता है। जब समाज एक-दूसरे के दुख को बाँटता है, तभी विकास का अर्थ सच्चा होता है। प्रांतीय पर्यावरण प्रमुख रेखा सोनी, एनीमिया प्रकल्प प्रमुख सोनिया बंग, महिला संयोजिका सुमन सामसुखा, कोषाध्यक्ष विनोद मेहता सहित कई अन्य सदस्य भगवती प्रसाद अजमेरा, बृजगोपाल मालू, कमल किशोर व्यास, संजय सामसुखा, सुभाष पालीवाल, मुकेश जैन, शिवशंकर बंग, चंद्रेश धुलिया — ने इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी निभाई।

जहां संवेदना है, वहीं समाज जीवित है

राजसमंद शाखा की यह पहल उस विचार को फिर से जीवित करती है कि समाज की असली पहचान उसकी आर्थिक समृद्धि नहीं, बल्कि उसकी संवेदनशीलता है। यह केवल 11 परिवारों की कहानी नहीं, बल्कि 11 ऐसे दीपक हैं जो दिखाते हैं कि थोड़ा सा सहयोग भी किसी के अँधेरे जीवन में उजाला बन सकता है। भारत विकास परिषद की यह मुहिम इस बात का प्रमाण है कि जब सेवा भावना और मानवीय करुणा मिलती हैं, तो न केवल घर, बल्कि पूरे समाज के दिल रोशन हो उठते हैं।