
पेंच के जंगल में दिख रही जलपाटा बाघिन।
सिवनी. मप्र को टाइगर स्टेट का दर्जा दिलाने वाले पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी के जंगल बाघ-बाघिन को काफी पसंद आ रहे हैं। यहां दूसरे इलाकों से भी बाघ-बाघिन आकर अपना ठिकाना बना रहे हंै। एक साल पहले कान्हा टाइगर रिजर्व से एक बाघ पेंच-कान्हा कॉरीडोर से होता हुआ। पेंच के रूखड़ बफर एरिया में आया और यहीं बस गया। अब महाराष्ट्र की ओर से पिछले कुछ दिनों से एक बाघिन पेंच के तेलिया क्षेत्र में दिखाई दे रही है।
पेंच टाइगर रिजर्व के तेलिया गेट से जंगल सफारी के लिए जा रहे पर्यटकों को नई बाघिन हर दिन नजर आ रही है। इस बाघिन के आने से पर्यटकों का उत्साह देख पर्यटन विभाग और जिप्सी संचालकों, गाइडों ने इसका नाम ‘जलपाटा‘ रखा है। बताया जा रहा है कि ये बाघिन पेंच टाइगर रिजर्व के महाराष्ट्र के खुर्सापार क्षेत्र से 20 किमी से ज्यादा का सफर तय कर यहां आई है।
पेंच में हैं अनुकूल परिस्थितियां
पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी क्षेत्र में वन्यप्राणियों के अनुकूल परिस्थियां हैं। यहां घास के मैदान हैं, जहां से चीतल, नीलगाय, बायसन जैसे वन्यप्राणियों को पर्याप्त खुराक मिलती है। जिससे इनकी लगातार तादाद भी बढ़ रही है। इन वन्यप्राणियों के बढऩे से बाघ-तेंदुआ जैसे वन्यप्राणी भी आसानी से शिकार मिलने से इन्हीं इलाकों को अपना ठिकाना बनाए हुए हैं।
बाजीराव की तरह जलपाटा भी बनी पसंद
रूखड़ में कान्हा टाइगर रिजर्व से करीब 150 किमी का सफर तय कर आए बाघ का नाम बाजीराव रखा गया था, जो अब भी पर्यटकों के लिए पसंदीदा नाम बना हुआ है। पेंच आने वाले पर्यटक बाजीराव को देखने की डिमांड करते हैं। अब तेलिया गेट से आने वाले पर्यटकों के बीच भी जलपाटा नाम काफी चर्चा में है। तेलिया गेट से पर्यटकों को जंगल सफारी पर पेंच की जानकारी देने वाले गाइड अरविंद भलावी ने बताया कि बाघिन का नाम जलपाटा रखा गया है, पहले इसे लोग तारू भी कह रहे थे।
Published on:
30 May 2025 06:43 pm
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