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अस्पताल में टोकन मशीन खा रही धूल, चिकित्सकों के चेंबर से डिस्प्ले भी गायब

जिला चिकित्सालय में क्यू मैनेजमेंट सिस्टम फेल, फिर लगने लगी मरीजों की लंबी कतार

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शहडोल. जिला चिकित्सालय में करीब दो साल पहले मरीजों की सुविधा के लिए बनाया गया क्यू मैनेजमेंट सिस्टम बीते एक साल से बंद पड़ा है। ओपीडी में इस सुविधा के लिए लाखों रुपए खर्च किए गये थे जो अब व्यर्थ हो गया है। अस्पताल की ओपीडी शुभारंभ के दौरान डिजिटल ओपीडी का नाम दिया गया था, जो फिर से मेन्युअल में बदल गया। ओपीडी कक्ष में बड़ी स्क्रीन लगाई गई थी वह गायब है, उसके स्थान पर छोटी टीवी लगाई गई है। इसके साथ ही टोकन मशीन भी ओपीडी कक्ष में एक किनारे धूल खा रही है। चिकित्सकों के चेंबर के सामने लगे डिस्पले बोर्ड गिने चुने बचे हैं। कुल मिलाकर फिर वहीं पुरानी व्यवस्था के तहत ओपीडी का संचालन हो रहा है, जिसमें सबसे अधिक समस्या वृद्ध व फैक्चर मरीजों को उठानी पड़ती है। इतना ही नहीं जिला अस्पताल में चिकित्सकों को दिखाने से पहले ओपीडी पर्ची के लिए बनया गया क्यूआर कोड सिस्टम भी बंद है, जिससे मरीजों व परिजनों को लंबी कतार का सामना कर पर्ची कटाने की मजबूरी बनती है।

क्यू मैनेजमेंट सिस्टम इस तरह करता था काम

जिला अस्पताल के 14 नंबर ओपीडी को पूरी तरह आधुनिक सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाया गया था। इसमें एक बड़ी टीवी के साथ, टोकन मशीन, चिकित्सकों के चेंबर के सामने डिस्पले बोर्ड के साथ ही मरीजों लिए बैठक व्यवस्था बनाई गई थी। टोकन पर्ची निकालने के लिए एक कर्मचारी को तैनात किया गया था। कर्मचारी के द्वारा मरीजों को ओपीडी कक्ष में आने के बाद एक डिजिटल टोकन पर्ची दिया जाता था, जिसमें चिकित्सकों से मिलने का नंबर अंकित होता था, चेंबर के सामने लगे डिस्पले में नंबर आते ही अनाउंसमेंट होता था जिसके बाद मरीज विशेषज्ञ चिकित्सकों के पास पहुंच जाता था। इस सुविधा से चिकित्सकों के सामने मरीजों की भीड़ नहीं लगती थी, और मरीजों की समस्या आराम से सुनी जाती थी।

क्यूआर कोड से पर्ची मिलना भी बंद

मरीजों को लिए अस्पताल के ओपीडी पर्ची काउंटर के पास एक क्यूआर कोड सिस्टम भी बनाया गया था। दीवार में क्यूआर कोड का पोस्टर चस्पा किया गया था, जो अब गायब है। यह सुविधा उन मरीजों के लिए बनाई गई थी, जिनके पास एडं्रायड मोबाइल उपलब्ध है। मरीज आभा एप्लीकेशन डाउनलोड कर उसमें आवश्यक जानकारी फिलअप करता था, जिसके बाद एक ओटीपी आता था। ओटीपी को काउंटर में बताकर पर्ची प्राप्त कर लेता था। लेकिन यह सुविधा काफी जटिल होने के कारण बंद पड़ी है।
इनका कहना है
चिकित्सकों के चेंंबर बढ़ाए जाने की वजह से डिस्प्ले निकाले गए हैं। टोकन मशीन में तकनीकी खराबी है, जिसके कारण बंद है, सुधार के लिए कंपनी को पत्राचार किया गया है। 2-3 दिन में शुरू हो जाएगा।
पूजा सोनी, सहायक प्रबंधक जिला अस्पताल