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गोवर्धन जैविक योजना का मिल रहा किसानों को लाभ

सीकर. रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से न केवल मिट्टी की सेहत बल्कि आम इंसानों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। इसी समस्या को देखते हुए और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए आमजन को रसायन मुक्त अनाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार ने किसानों को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है।

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सीकर. रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से न केवल मिट्टी की सेहत बल्कि आम इंसानों के स्वास्थ्य पर भी गंभीर दुष्प्रभाव पड़ रहे हैं। इसी समस्या को देखते हुए और जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए आमजन को रसायन मुक्त अनाज उपलब्ध कराने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार ने किसानों को प्रोत्साहन देना शुरू कर दिया है। इसी पहल के तहत सरकार की गोवर्धन जैविक उर्वरक योजना के तहत जिलेवार लक्ष्य दिए गए हैं। योजना के तहत सीकर जिले को डेढ हजार यूनिट लगाने का लक्ष्य दिया गया है। अच्छी बात है कि किसान के नाम भूमि होने पर योजना के तहत अनुदान दिया जा सकेगा। अच्छी बात है कि सरकार की ओर से किसानों को एक वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाने पर 10,000 रुपए प्रति यूनिट का अनुदान दिया जाएगा।

भूमि की उर्वरता में सुधार

किसानों के अनुसार वर्मी कपोस्ट यूनिट के जरिए किसान पशु अपशिष्ट, गोबर और घरेलू जैविक कचरे से प्राकृतिक खाद तैयार कर रहे हैं। इससे मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ रही है और उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार देखा जा रहा है। जिससे वे अपने खेतों में जैविक खाद तैयार कर रसायनों का उपयोग घटा रहे हैं। क्षेत्र में किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है।

ऐसे मिलेगा अनुदान

वर्मी कंपोस्ट यूनिट पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसानों को ई-मित्र केंद्र पर या राजस्थान किसान पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन करने वाले किसानों को पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर अनुदान का लाभ ले सकेंगे। योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास कम से कम 6 माह पुरानी जमाबंदी होना अनिवार्य है। योजना की पात्रता के लिए संबंधित किसान के पास कम से कम तीन गोवंश होने चाहिए।

यह है वर्मी कंपोस्ट

वर्मी कंपोस्ट (केंचुआ खाद) केंचुओं की ओर से जैविक पदार्थों को खाकर और उनके पाचन तंत्र से गुजरने के बाद बनने वाला मल होता है। यह प्रक्रिया लगभग डेढ़ से दो महीने में तैयार हो जाती है।

यह खाद हल्के काले रंग की, दानेदार होती है, जिसका रूप चाय पत्ती जैसा दिखता है।

इनका कहना है

किसानों को गोर्वधन जैविक उर्वरक योजना से लाभान्वित करने के लिए फील्ड स्टॉफ को निर्देश दिए हुए हैं। विभाग की मंशा है कि खेती में प्रयोग की जाने वाली रासायनिक खादों की खपत घटे और खेती में वर्मी कपोस्ट के जरिए मिलने वाली खाद को ही प्रयोग में लिया जाए। जिससे किसान सहित आम आदमी की सेहत को फायदा मिल सके।

शिवजीराम कटारिया, अतिरिक्त निदेशक कृषि