आंदोलन से पहले मांगलिक परिसर में सभा हुई, जहां किसान नेता सुभाष पटेल, जय पटेल और अनिल पटेल ने सरकार पर किसानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए आंदोलन के लिए किसानों में जोश भरा। उन्होंने कहा कि तीन बार आंदोलन करने के बाद भी सरकार ने उनकी नहीं सुनी, इसलिए अब रेल रोकने जा रहे हैं। भगवान बलराम की जय लगाते हुए किसानों में जोश भरा।किसानों ने मंच पर आकर अपनी समस्याएं भी साझा कीं, और भारी भीड़ परिसर से बाहर तक फैली रही।
किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा
सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल जब पहली बार पहुंचे तो किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। उन्होंने मंच से मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री से बात करवाने की कोशिश की, लेकिन संपर्क नहीं हो सका। किसानों के बढ़ते आक्रोश के बीच सांसद दो घंटे का समय मांगकर कार्यक्रम स्थल से एक बजे चले गए और करीब चार घंटे बाद लौटे। उनके आगमन से पहले उनके प्रतिनिधियों ने किसान नेताओं से आश्वासन लिया कि सांसद को अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। शाम को पाटिल खंडवा विधायक कंचन तनवे के साथ लौटे और किसानों से विस्तृत चर्चा की।
महिलाओं ने सेव परमल लाकर बांटा
धरने में सुबह से शाम तक महिलाएं, पुरुष, बच्चे और युवक शामिल रहे। भूख लगने पर गांव की महिलाओं ने सेव परमल लाकर बांटा, जबकि युवकों ने घर से चाय बनाकर पुलिसकर्मियों और अधिकारियों को भी पिलाई। किसानों के आक्रोश को देखते हुए बड़गांव गुर्जर रेलवे स्टेशन से टिगरिया गांव तक सुरक्षा के चार स्तर बनाए गए। जिला पुलिस, आरपीएफ और जीआरपी के साथ वरिष्ठ अधिकारी पूरी व्यवस्था संभालते रहे।
मेरी कोई इंडस्ट्रीज नहीं है और ना ही कंस्ट्रक्शन का काम है
सांसद पाटिल ने कहा कि किसानों की समस्याएं, खासकर प्याज निर्यात खोलने और कम दाम की समस्या, उन्होंने कृषि मंत्री और मुख्यमंत्री तक पहुंचा दी हैं। किसानों का प्रतिनिधिमंडल जल्द ही उनसे मुलाकात करेगा। उन्होंने स्वयं को किसान बताते हुए कहा कि मेरी कोई इंडस्ट्रीज नहीं है और ना ही कंस्ट्रक्शन का काम है। वे लोकसभा में भी किसानों की समस्याएं उठाएंगे।