नागौर. ईसबगोल व्यापारियों की हड़ताल ने कृषि उपज मंडियों में इसकी नीलामी रोक दी है। प्रतिदिन करीब 1 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। तीसरे दिन अब तक अकेले नागौर कृषि उपज मंडी का करीब 3.5 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है, और प्रतिदिन के हिसाब से अब तक लगभग तीन लाख से ज्यादा के राजस्व का नुकसान हो चुका है। इससे जिले की अन्य मंडियों में हुए राजस्व नुकसान एवं प्रभावित कारोबार के आंकड़ों का अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है। स्थिति यह हो गई है कि मंडी में ईसबगोल की उपज लेकर आ रहे किसानों को साफ तौर पर लेने से व्यापारी मना कर रहे हैं।जो पहले से खरीद हो चुकी है, उसकी ढेरियां लगी हुई हैं, मगर अब तक बिकी नहीं है। इससे असंतोष के स्वर मुखर होने लगे हैं।
किसानों के लिए होने लगी मुश्किल
ईसबगोल की ताजा फसल लेकर आए किसानों के लिए यह स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। नीलामी न होने के कारण उनकी उपज मंडी में ही पड़ी हुई है। इसमें से कुछ खुले में तो कुछ गोदामों में। इससे फसल खराब होने का खतरा मंडराने लगा है। किसानों में मूण्डवा क्षेत्र से आए किसान रामूराम से बातचीत हुई तो इनका कहना था कि मंडी तक फसल लाने में उन्हें ढुलाई, मजदूरी और भंडारण का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ता है, लेकिन बिक्री न होने से वे दोहरी मार झेल रहे हैं। स्थिति यह रही कि लगाातार तीसरे दिन भी नीलामी नहीं होने के चलते मंडी प्रशासन को भी जारी अधिकृत सूची में इसकी नीलामी नहीं होने की सूचना दर्शानी पड़ी। जबकि मंडी में मूंग, जीरा, सौंफ और ग्वार जैसी अन्य जिंसों की नीलामी सामान्य रही, लेकिन ईसबगोल का एक दाना तक नहीं बिका।
सरकार ईसबगोल से हटाए जीएसटी
कृषि उपज मंडी के ईसबगोल के व्यापारी मोहित जांजू का कहना है कि ईसबगोल व्यापारिक एसोसिएशन की ओर से हड़ताल की जा रही है। एसोसिएशन का मानना है कि इसको औषधीय उत्पाद के रूप में वर्गीकृत करने क साथ ही इस पर लगने वाला 5 प्रतिशत जीएसटी समाप्त किया जाए। फिलहाल किसानों को अपनी उपज बेचने पर 5 प्रतिशत जीएसटी और लगभग 1 प्रतिशत मंडी टैक्स मिलाकर कुल 6 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता है। जिससे लागत बढ़ जाती है। व्यापारी स्पष्ट कह चुके हैं कि जब तक केंद्र सरकार जीएसटी नहीं हटाती, हम नीलामी नहीं करेंगे।
कृषि मंडी का राजस्व थमा
हड़ताल का असर मंडी के राजस्व पर भी पड़ा है। मंडी टैक्स और शुल्क से प्रतिदिन लाखों रुपये की आमदनी होती थी। पिछले तीन दिनों से यह पूरी तरह थम चुकी है। किसानों की चिंताएं बढ़ रही हैं, जबकि व्यापारियों की ओर से सरकार से जवाब की प्रतीक्षा में हड़ताल पर अड़े हुए हैं। अब हालात यह हैं कि मंडी की नीलामी बंद है, किसान हताश हैं और प्रशासन मौन। यदि सरकार ने जल्द कोई निर्णय नहीं लिया, तो नागौर सहित प्रदेश की अन्य मंडियों में भी ईसबगोल व्यापार पूरी तरह ठप हो सकता है।
कृषि मंडी से रौनक गायब
ईसबगोल की हड़ताल से नागौर कृषि मंडी की रौनक गायब है। किसान अपनी मेहनत की फसल लेकर मंडी पहुंच रहे हैं लेकिन खरीददार नदारद हैं। प्रतिदिन लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान सरकार को हो रहा है। व्यापारी साफ कह रहे हैं कि जीएसटी हटाने पर फैसला केवल केंद्र सरकार ही ले सकती है — जब तक दिल्ली से राहत नहीं मिलेगी, तब तक हड़ताल जारी रहेगी।
इनका कहना है…
ईसबगोल के व्यापारी जीएसटी हटाए जाने की मांग को लेकर हड़ताल पर है। इसकी वजह से मंडी में ईसबगोल की नीलामी नहीं हो पा रही है। इससे राजस्व एवं मंडी टैक्स प्रभावित तो हुआ है।
रघुनाथराम सिंवर, सचिव, कृषि उपजमंडी नागौर