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तालाब के ओवरफ्लो पानी के बहाव ने उजाड़ दी वन विभाग की पौधशाला

शहर के कनकसागर तालाब की पाल के ऊपर से निकले ओवरफ्लो के पानी से हर वर्ष हजारों पौधों तैयार करने वाली नैनवां की वन विभाग की रियासतकाल में बनी नर्सरी (पौधशाला) उजड़ गई।

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बूंदी

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pankaj joshi

Nov 11, 2025

तालाब के ओवरफ्लो पानी के बहाव ने उजाड़ दी वन विभाग की पौधशाला

नैनवां। वन विभाग की पौधशाला पानी के बहाव से क्षतिग्रस्त चारदीवारी

नैनवां. शहर के कनकसागर तालाब की पाल के ऊपर से निकले ओवरफ्लो के पानी से हर वर्ष हजारों पौधों तैयार करने वाली नैनवां की वन विभाग की रियासतकाल में बनी नर्सरी (पौधशाला) उजड़ गई। नर्सरी में कई पेड़ उखड़े पड़े है। चारदीवारी क्षतिग्रस्त हो जाने व दरवाजे की फाटक भी हटा लेने के बाद वन विभाग द्वारा नर्सरी की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए जाने से उखड़े पेड़ों को लोग काट-काट कर ले जा रहे है तो पांच ब्लॉकों में तैयार कर रखे पौधों को भी सार सम्भाल नहीं किए जाने से पौधों को मवेशी चट करते जा रहे है।

मामला वन विभाग के अधिकारियों की जानकारी में होने के बाद भी नर्सरी लावारिस हाल में छोड़ दिए जाने से तालाब की पाळ ओवर फ्लो के पानी से ढही रियासतकालीन छतरियां व बावड़ी से उखड़े शिल्प कला के दुर्लभ पत्थरों को भी उठाकर ले जा रहे है। मुख्य द्वार से पौधशाला के ब्लॉक तक कि सड़क भी बह गई। सड़क बह जाने रास्ते मे खाइयां नुमा गड्ढे हो जाने पौधशाला तक अब कोई वाहन नहीं पहुंच सकता। नर्सरी में कार्यालय से जुड़वा ही वन कर्मियों के रहने के लिए विभाग का भवन भी बना हुआ है। तालाब ओवर फ्लो होने से भवन का अगस्त माह में ही आधा भवन भी धराशाही हो गया था। ढहे भवन के जंगले व अन्य सामान भी लोग उठाकर ले गए।

23 अगस्त को एक ही दिन में हुई बीस इंच बरसात से तालाब की पाल के ऊपर से चले तीन फीट ओवर फ्लो के बहाव में नर्सरी का लोहे का मुख्य गेट बह गया। गेट के पास ही पांच फीट गहरा गड्ढा हो गया था। बहाव इतना तेज था कि नर्सरी में कई छोटे-बड़े पेड़ तक उखड़ गए थे। छोटे पेड़ तो बहकर रायसागर में पहुंच गए थे तो बड़े पेड़ अभी नर्सरी में ही उखड़े पड़े है। उखड़े पेड़ व लोगों द्वारा उनको काटकर ले जाने के निशान नर्सरी के उजड़ने की कहानी कह रहे है।

रियासतकालीन बाग रहा पौधशाला
रियासतकाल में शहर कनकसागर के किनारे स्थित बाग विकसित कर इसे शम्भूबाग का नाम दिया था। बाग में कलात्मक बावड़ी व बावडी के गेट पर एक तरफ सरस्वती व दूसरी तरफ गणेश छतरी का निर्माण कराया था। नैनवां में वन रेंज कार्यालय खोला तो सरकार ने बाग को वन विभाग के अधीन कर दिया। वन विभाग के अधीन होने के बाद से ही विभाग ने बाग को पौधशाला के रूप में विकसित किया था।

रेंजर का कहना
तालाब के ओवरफ्लो का पानी नर्सरी में होकर निकलने से नर्सरी पूरी तरह से तहस-नहस हो गई। नर्सरी में स्थापित पौधशाला को फुलेता क्लोजर में स्थापित करवाया जा रहा है। अभी नर्सरी की सुरक्षा के लिए दो कर्मचारी नियुक्त कर रखे है।
कविता चौधरी, क्षेत्रीय वनाधिकारी, नैनवां