
अवैध कॉलोनी
शहर के आसपास तेजी से फैल रहीं अवैध कॉलोनियों पर प्रशासन की कार्रवाई पिछले एक वर्ष से अधूरी पड़ी है। शहर में कुल 84 अवैध कॉलोनियों को चिन्हित किया गया था। इनमें से एक साल पहले 42 कॉलोनियों में खरीद-बिक्री पर रोक लगाई गई, लेकिन बाकी बची कॉलोनियों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। राजस्व विभाग ने इन अवैध बसाहटों को खसरे में दर्ज करना शुरू किया था, लेकिन प्रक्रिया आधे में ही थमी रही। कई कॉलोनियां बिना अनुमति, बिना नक्शा तथा बिना आवश्यक बुनियादी सुविधाओं के विकसित की गई हैं, फिर भी उन पर अब तक कोई प्रशासनिक कदम नहीं उठाया गया है।
बाहरी क्षेत्रों में तेजी से प्लॉट काटने और अवैध बसाहट होने से नगर पालिका क्षेत्र में पानी, सडक़, बिजली और नाली-सीवरेज जैसी सुविधाएं प्रभावित हुई हैं। इन कॉलोनियों में रहने वाले लोग भी असमंजस की स्थिति में हैं। उनका कहना है कि उन्होंने मेहनत की कमाई लगाकर भूखंड खरीदे, लेकिन प्रशासन की आधी-अधूरी कार्रवाई ने उन्हें असुरक्षित स्थिति में छोड़ दिया है।
नगर पालिका ने अवैध बसाहट पर रोक लगाने के लिए जिला शहरी विकास अभिकरण (डूडा) के माध्यम से 84 कॉलोनियों को अवैध घोषित करने का प्रस्ताव भेजा था। अनुविभागीय अधिकारी राजस्व (एसडीएम) ने इनमें से केवल 42 कॉलोनियों के खसरा नंबर 12 की कैफियत में अवैध कॉलोनी दर्ज करने के आदेश दिए, लेकिन बाकी कॉलोनियों पर आदेश आज तक जारी नहीं हुए।
-आधी कॉलोनियों पर कार्रवाई रुक गई
-मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया
- कॉलोनी बसाने वालों पर जुर्माना नहीं लगाया गया
- इन्हें वैध या अवैध घोषित करने की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी।
कई जमीन कारोबारी कृषि भूमि खरीदकर बिना अनुमति 1000 से 2000 वर्गफीट के छोटे भूखंड बेच देते हैं।
- सडक़ नहीं होती
-नाली नहीं बनाई जाती
-बिजली-पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं
नगर निकाय से कोई सुविधा नहीं मिलती है।
राज्य सरकार ने 31 दिसम्बर 2016 से पहले अस्तित्व में आई कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया तय कर रखी है। लेकिन विकास कार्य शुरू करने से पहले कॉलोनी विकसित करने वाले मूल व्यक्ति पर नगर पालिका अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करना आवश्यक है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के रहवासियों को कुल विकास लागत का 20 प्रतिशत शुल्क देना होगा, जबकि मध्यम और उच्च वर्ग को 50 प्रतिशत विकास शुल्क वहन करना होता है। फिलहाल प्रशासन की सुस्त कार्रवाई के कारण यह प्रक्रिया भी आगे नहीं बढ़ पा रही है।
1. नगर पालिका अधिनियम 1956 और 1961 के तहत अवैध कॉलोनी काटने पर 3 से 7 साल जेल और 10 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है।2. अवैध कॉलोनाइजरों के खिलाफ एफआईआर और परिसर सील करने का नियम भी लागू है।
3. कॉलोनी में ओपन एरिया न छोडऩे वालों पर भी कार्रवाई का प्रावधान है।
4. सरकारी जमीन, तालाब, उद्यान और सार्वजनिक जगहों पर अतिक्रमण कर बनी कॉलोनियां वैध नहीं मानी जा सकती हैं।
5. पंचायत क्षेत्र में कार्रवाई का अधिकार कलेक्टर को, जबकि नगरीय निकाय क्षेत्र में सीएमओ के प्रतिवेदन पर एसडीएम को रोक लगाने का अधिकार है।
छतरपुर- 84
खजुराहो- 69
बिजावर- 26
नौगांव- 16
राजनगर- 16
हरपालपुर- 8
लवकुशनगर- 4
कुल 223
प्रश्न- 64 कॉलोनियां अवैध पाई गई, 42 कॉलोनियों पर कार्रवाई की गई, बाकी पर अब तक क्यों नहीं हो पाई है?
उत्तर- पहले चरण में 42 कॉलोनियों में खरीद बिक्री पर रोक लगाई गई। खसरे में भी दर्ज किया गया। फिर 8 और कॉलोनियों पर कार्रवाई की गई।
प्रश्न- बाकी कॉलोनियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई है?
उत्तर- अब तक 50 कॉलोनियों पर कार्रवाई की गई है। बाकी पर भी कार्रवाई जारी है। पटवारियों के जैसे-जैसे प्रतिवेदन मिल रहे हैं। वैसे-वैसे कार्रवाई की जा रही है।
प्रश्न- अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई को लेकर प्रशासन हिचक रहा है क्या?
उत्तर- कार्रवाई की जा रही है। प्रक्रियागत समय जरूर लग रहा है। लेकिन शासन के निर्देशानुसार कार्रवाई लगातार जारी है। अवैध कॉलोनियों पर जल्द ही कार्रवाई पूरी कर ली जाएगी।
प्रश्न- नई अवैध बस रही कॉलोनियों पर कार्रवाई कब होगी?
उत्तर- पटवारियों को निर्देश दिए गए है कि नए मामलों की जांच करें। शिकायतों पर प्रतिवेदन मांगे गए हैं। प्रतिवेदन के आधार पर और भी कई कॉलोनियों पर कार्रवाई की जाएगी।
Published on:
18 Nov 2025 10:44 am
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