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एंटीबायोटिक्स, एंटीएलर्जिक, एंटीडोट्स की कमी से जूझ रहा जिला अस्पताल, मरीजों को लानी पड़ रही बाहर से दवा

यहां तक जख्म पर लगनी वाली पट्टी भी बाहर से लानी पड़ रही है। 483 प्रकार की दवा रखने का प्रावधान बनाया गया है। जिला अस्पताल में अभी वर्तमान में करीब 388 प्रकार की ही दवा उपलब्ध है।

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दवा वितरण काउंटर

जिला अस्पताल इन दिनों दवा के अभाव में हैं और यहां पर दर्द निवारक, एंटीबायोटिक्स, एंटीएलर्जिक, एंटीडोट्स की स्लॉट में कमी आ गई है। मरीजों को इसलिए लिए बाहर मेडिकल पर जाकर खरीदना पड़ रहा है। यहां तक जख्म पर लगनी वाली पट्टी भी बाहर से लानी पड़ रही है। 483 प्रकार की दवा रखने का प्रावधान बनाया गया है। जिला अस्पताल में अभी वर्तमान में करीब 388 प्रकार की ही दवा उपलब्ध है।

जरुरी दवाएं न होने से एक ही दवा सभी रोगों में लिखी जा रही है। ओपीडी की दीवार पर वहां मिलने वाली दवाओं की सूची तो लिखी है, लेकिन उसे रोजाना अपडेट नहीं किया जा रहा। मजबूरी में मरीज मेडिकल स्टोर से महंगी दवाएं खरीद रहे है। मौसम बदलने के साथ ही लोग विभिन्न बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। चिकित्सकों की कमी के चलते चैंबर में भीड़ लग रही है। मरीजों को मुफ्त दवा देने में स्वास्थ्य विभाग हांफने लगा है। जरूरी कई दवाएं अस्पताल में नहीं हैं।

स्टॉक में भी कमी

राज्य सरकार ने मरीजों की संख्या को देखते हुए दवाओं की संख्या में बढ़ोतरी करते हुए 483 प्रकार की दवा रखने का प्रावधान बनाया है। जिला अस्पताल में अभी वर्तमान में करीब 388 प्रकार की ही दवा उपलब्ध है। इसमें भी पर्याप्त मात्रा में स्टॉक के हिसाब से दवा नहीं है। मरीजों को दवा के लिए प्राइवेट मेडिकल पर दोगुनी कीमत में दवा खरीदनी पड़ रही है।

यह है राज्य सरकार का नियम

जिला अस्पताल-483 प्रकार की दवाएं

सिविल अस्पताल- 400 प्रकार की दवाएं

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र-273 प्रकार की दवाएं

शहरी और ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र- 299 प्रकार की दवाएं

उप स्वास्थ्य केंद्र- 126 प्रकार की दवाएं

पिछले वर्ष राज्य में यह दवाएं मिलीं अमानक

सिफोटैक्सिम (एंटीबायोटिक) - संक्रमण रोकथामजेंटामाइसिन (एंटीबायोटिक) - संक्रमण रोकथामफुरोसेमाइड - सूजन होने परएमलोडोपिन - बीपी के लिएडेक्सामेथासोन (स्टेरायड) इंजेक्शन - दवाओं का प्रभाव बढ़ाने के लिएएड्रेनालाइन (इंजेक्शन) - हार्मोन के संतुलन के लिएफेरस एस्कार्बेट और फोलिक एसिड टैबलेट - आयरन और फोलिक एसिड की कमी दूर करने के लिएपैरासिटामाल सायरप - बुखार उतारने के लिएमल्टीविटामिन - विभिन्न तरह के विटामिन्स की कमी दूर करने के लिएब्रोमेक्जिन हाइड्रोक्लोराइड बाटल - श्वास नली का संक्रमण खत्म करने के लिएजेंटामाइसिन - आंख और कान का ड्रापविटामिन बी1, बी2, बी6 बाटल - विटामिन्स की कमी होने परबिसाकोडिल - कब्जियत दूर करने के लिए

इनका कहना है

दवाओं का ग्रांट सरकार तय करती है तो उस आधार पर क्रय होता है। स्टॉक में कमी आती है तो स्वास्थ्य विभाग को सूचित किया जाता है। जैसे ही सरकार के द्वारा फंड आता है दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराई जाती हैं।

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डॉ आरपी गुप्ता, सीएमएचओ