
-पौने दो साल से स्कूलों को पन्नाधाय दूध योजना की राशि नहीं हुई जारी
- योजना स्कूल संचालकों के लिए बनती जा रही बोझ
धौलपुर.जिले के राजकीय स्कूलों में संचालित ‘पन्नाधाय बाल गोपाल’ योजना स्कूल संचालकों पर बोझ बनती जा रही है। कारण...दो साल से जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक कार्यालय की ओर से गैस, चीनी और अन्य जरूरी सामान का बजट जारी नहीं किया गया है। चार महीनों से 8 करोड़ की बजट की फाइल ऑफिस दर ऑफिस घूम रही है, लेकिन स्कूलों तक बजट नहीं पहुंच पा रहा।सरकारी स्कूलों में संचालित ‘पन्नाधाय बाल गोपाल योजना’ की जिले में जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है। करीब दो साल होने को आ रहे हैं जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक कार्यालय की ओर से जिले के स्कूलों को दूध योजना का गैस, चीनी और अन्य जरूरी सामान का बजट जारी नहीं किया गया है। ऐसे में शिक्षकों को पिछले तीन शैक्षिक सत्रों से योजना का खर्च अपनी जेब से उठाना पड़ रहा है। ऐसे में छात्रों की सेहत सुधारने के लिए शुरू की गई दूध योजना अब शिक्षकों की सेहत बिगाडऩे लगी है। लिहाजा शिक्षकों के लिए आर्थिक बोझ और बच्चों के लिए बेमन से पिए जाने वाला दूध बन चुकी है। पता चला है कि जिले के धौलपुर, राजाखेड़ा, बाड़ी बसेड़ी, सैंपऊ, सरमथुरा ब्लॉक के 1180 स्कूलों में पढऩे वाले करीब डेढ़ लाख विद्यार्थियों को प्रतिमाह दूध पिलाया गया था, लेकिन स्कूलों को दूध योजना के तहत चीनी व गैस का भुगतान मार्च 2024 तथा दूध गर्म करने वाले व्यक्ति (कुक) मानदेय राशि का बजट डीईओ प्रारंभिक कार्यालय की ओर से जनवरी 2024 से आवंटित ही नहीं किया गया है। जिससे मानदेय कर्मियों को करीब दो साल से भुगतान का इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं स्कूलों में संस्था प्रधान व पोषाहार प्रभारियों को अपने वेतन से आपूर्ति कर्ताओं को लंबित राशियों का भुगतान करने को बाध्य होना पड़ा है या अनेकों स्कूलों पर महीनों से उधारी बकाया चल रही है।
इस ऑफिस से उस ऑफिस घूम रही फाइल
विभागीय उदासीनता और कार्य प्रणाली देखिए कि दूध योजना का स्कूलों को बकाया बजट मिले इसके लिए फाइल शैक्षिक सत्र की शुरुआत के जुलाई माह से जिला शिक्षा अधिकारी, जिला कलक्टर कार्यालय से लेकर कोषाधिकारी तक घूम रही है, लेकिन करीब 8 करोड़ का बजट 4 महीने बाद भी स्कूलों तक विभाग नहीं पहुंचा पाया है। डीईओ प्रारंभिक 8 सितंबर को ट्रेजरी ऑफिसर को एक पत्र लिखा जिसमें पन्नाधाय बाल गोपाल योजना के 7 करोड़ 95 लाख 27 हजार 168 रुपए के प्रस्तुत बिल 25 अगस्त को पारित हो चुके हैं, लेकिन अभी तक राशि स्कूलों तक नहीं पहुंची है। सूत्रों ने बताया कि असल में ट्रेजरी ने इन बिलों को डीईओ को रिटर्न कर दिया, लेकिन बीते दो महीनों में डीईओ कार्यालय बिल पुन: तैयार कर ट्रेजरी को नहीं भेज पाया जिसका खामियाजा स्कूलों को झेलना पड़ रहा है।
मॉनिटरिंग के अभाव में हिचकोले खाती दूध योजना
राजकीय स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों के पोषण स्तर को सुधारने, ठहराव एवं नामांकन बढ़ोतरी के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 29 नवंबर 2022 को ‘मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना’ के नाम से कक्षा 1 से 8 में पढऩे वाले छात्रों को पाउडर दूध पिलाना शुरू किया था। सरकार बदलने के बाद सितंबर 2024 में इस योजना का नाम बदलकर ‘पन्नाधाय बाल गोपाल योजना’ कर दिया गया, लेकिन वर्तमान सरकार में सघन मॉनिटरिंग के चलते बमुश्किल दो-तीन बार ही स्कूलों को मिल्क पाउडर की सप्लाई की गई। जिसके कारण कभी स्कूलों में बच्चों को दूध मिलता है। कहीं महीना बंद हो जाता है। ऐसे में योजना महज योजना बनकर ही रह गई है और समय पर स्कूलों को बजट मिले इसके लिए कोई पुख्ता मॉनिटरिंग नहीं की जा रही है।
खातों में आ रही दिक्कत के कारण भुगतान अटका हुआ है। राशन ग्रामीण बैंक का अन्य बैंक में विलय होने के कारण खातों को अपडेट कराया जा रहा है। जल्द ही सभी ब्लॉकों को राशि जारी कर दी जाएगी।
-आरडी बंसल, जिला शिक्षा अधिकारी एलिमेंन्ट्री
डीईओ कार्यालय की उदासीनता के चलते स्कूलों को पिछले पौने दो साल से योजना का बजट नहीं मिला है। संघ की ओर से कई बार लिखित और मौखिक आग्रह किया है। जल्द जिले के सभी स्कूलों को लंबित चीनी, गैस व दूध तैयार करने वाले व्यक्ति कुक की मानदेय राशि का बजट आवंटित करनी चाहिए।
-राजेश शर्मा,पूर्व प्रदेश महामंत्री राजस्थान पंचायती राज एवं माध्यमिक शिक्षक संघ
Published on:
03 Nov 2025 06:11 pm
बड़ी खबरें
View Allधौलपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
