4 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान में 160 मिलियन साल पुरानी धरोहर पर विभागीय खींचतान का ग्रहण, जियो-टूरिज्म को लगा बड़ा झटका

जैसलमेर में खाभा फॉसिल पार्क परियोजना विभागीय खींचतान की भेंट चढ़ गई। 2024-25 की बजट घोषणा के बावजूद डीपीआर अधूरी रही और स्थान बदल दिया गया। विशेषज्ञों के अनुसार, खाभा का जीवाश्म क्षेत्र जियो-टूरिज्म के लिए अधिक उपयुक्त था।

2 min read
Google source verification
Jaisalmer Khabha Fossil Park

जैसलमेर के खाभा में फॉसिल पार्क अटका (फोटो- पत्रिका)

जैसलमेर: जियो-टूरिज्म के रूप में तेजी से उभरते जैसलमेर को विभागीय खींचतान और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ने एक बार फिर बड़ा नुकसान पहुंचाया है। साल 2024-25 की बजट घोषणा में खाभा में फॉसिल पार्क विकसित करने की योजना बनाई गई थी। लेकिन निर्णयहीनता और बार-बार बदलती जिम्मेदारियों ने इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। खाभा का चयन इसके विशेष भू-वैज्ञानिक महत्व को देखते हुए किया गया था।

जैसलमेर की धरती पर प्राचीनतम चट्टानों से लेकर नवीन रेत के जमाव तक अद्वितीय विविधता मिलती है। यहां लगभग 160 मिलियन वर्ष पुरानी चट्टानें मौजूद हैं और अमोनाइट्स, गास्टॉपोड (शीप, शंख, घोंघा), शार्क टीथ, कोरल और वुड जैसे असंख्य जीवाश्म बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

यही कारण है कि देशभर से भू-विज्ञान और भूगोल के विद्यार्थी तथा शोधार्थी अध्ययन के लिए यहां पहुंचते हैं। परियोजना की शुरुआत पर्यटन विभाग से हुई थी, बाद में जिम्मेदारी पुरातत्व विभाग को सौंप दी गई।

डीपीआर अधूरी रही और अचानक आदेश जारी कर स्थान बदलते हुए आकल वुड फॉसिल पार्क में ही सुविधाएं विकसित करने का निर्णय कर लिया गया। इससे खाभा में प्रस्तावित पार्क का मूल उद्देश्य समाप्त हो गया, जबकि विशेषज्ञों के अनुसार खाभा का जीवाश्म क्षेत्र जियो-टूरिज्म की दृष्टि से कहीं अधिक विशिष्ट है।

यह है हकीकत…

जैसलमेर की अनूठी भू-वैज्ञानिक विरासत हर साल हजारों विद्यार्थियों, शोधार्थियों और पर्यटकों को आकर्षित करती है। जानकारों का कहना है कि खाभा में फॉसिल पार्क की स्थापना न केवल जिले के पर्यटन में नई जान फूंक सकती थी। बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देती। लेकिन विभागीय खींचतान ने एक बार फिर जिले से विकास का महत्वपूर्ण अवसर छीन लिया।

एक्सपर्ट व्यू…

यदि खाभा में फॉसिल पार्क विकसित होता तो जैसलमेर को जियो-टूरिज्म का एक नया और अनोखा स्थल मिलता। जुरासिक थीम पर आधारित मॉडल, जीवाश्म गैलरी और विभिन्न चट्टानों का प्रदर्शन इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय स्तर का आकर्षण बना सकता था।

पर्यटकों को खाभा होकर सम जाने का नया मार्ग मिलता, जिससे पर्यटन को बढ़ावा और सम मार्ग पर दबाव कम होता। कुलधरा की तरह खाभा भी विकसित हो सकता था।
-डॉ. एनडी इणखिया, वरिष्ठ भू-जल वैज्ञानिक