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गुजरात के सूरत से धार्मिक नगरी रामदेवरा तक लगभग 800 किलोमीटर की कठिन पदयात्रा पूर्ण कर सैकड़ों भक्त सोमवार को समाधि स्थल पहुंचे। करीब 22 दिनों तक चली यात्रा में 35 से अधिक पुरुष और महिलाएं शामिल रहे। भजन-कीर्तन, सत्संग और जयकारों के साथ आगे बढ़ते हुए भक्तों ने हर मुश्किल चरण को सहज बना लिया। यात्रा पूरी करने के बाद सभी ने बाबा रामदेव समाधि के दर्शन कर कृतज्ञता व्यक्त की। भक्तों ने बताया कि सूरत से रामदेवरा तक पहली बार पदयात्रा का संकल्प आस्था और मन्नत के कारण लिया गया। कठिन रास्तों और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद कहीं भी थकान महसूस नहीं हुई।
जहां भी पड़ाव हुआ, स्थानीय लोगों ने भोजन, पानी और अन्य आवश्यकताओं की व्यवस्था कर सेवा की। भक्तों ने कहा कि हर चरण पर बाबा रामदेव का आशीर्वाद और सुरक्षा का अनुभव मिला। समाधि स्थल पर पदयात्रियों ने चांदी का छत्र, मखमली चादर, काजू-बादाम-अखरोट का प्रसाद चढ़ाकर पूजा-अर्चना की। सामूहिक महाप्रसादी का आयोजन भी रखा गया। कार्तिक माह में गुजरात के लाखों श्रद्धालु रामदेवरा पहुंचते हैं, जिससे इन दिनों धार्मिक नगरी का वातावरण गुजरात की संस्कृति में रंगा नजर आ रहा है।पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे अश्विन ने बताया कि उनके आठ वर्षीय पुत्र माहिर और पुत्री महीरा ने पूरी यात्रा पैदल चलकर पूरी की। दोनों बच्चों ने गहरे आस्था भाव के साथ हर कदम पर च्रामसा पीरज् के जयकारे लगाए और जरूरत पडऩे पर अन्य यात्रियों की सेवा में भी लगे रहे। उनकी दृढ़ता और ऊर्जा देख बड़े भी प्रेरित हुए।
गुजरात के गांधीनगर से आए लगभग 600 श्रद्धालुओं का बड़ा जत्था रविवार को रामदेवरा पहुंचा। ढोल-मंजीरे बजाते हुए, नाचते और गाते हुए उत्साह से भरे श्रद्धालु समाधि स्थल पहुंचे। कतारबद्ध होकर सभी ने दर्शन किए और अपने साथ लाई 52 गज की ध्वजा समाधि पर चढ़ाई। भक्तों ने अमन, चैन और खुशहाली की प्रार्थना की।
Updated on:
09 Nov 2025 09:12 pm
Published on:
09 Nov 2025 09:11 pm
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