3 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

गन्ने की कतारों के बीच लहलहाएगी चने की फसल

गन्ने की कतारों के बीच लहलहाएगी चने की फसल जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्र म में किसानों को मिला मुफ्त उन्नत बीज

2 min read
Google source verification
Agriculture Program.

Agriculture Program.

Agriculture Program

.जिले की खेती इन दिनों एक दिलचस्प और नवाचारपूर्ण बदलाव से गुजर रही है। खेतों में गन्ने की लंबी कतारों के बीच अब चने की हरी.हरी लहरें दिखाई देंगी और यह दृश्य केवल खेती का विस्तार नहीं बल्कि जलवायु.स्मार्ट कृषि की दिशा में बड़ी छलांग है। मक्का और गेहूं सुधार केंद्र,बोरलॉग इंस्टीट्यूट फ ॉर साउथ एशिया और कृषि विभाग ने साथ मिलकर इस अनोखे मॉडल को जमीन पर उतारा है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत इस साल जिले में 250 एकड़ भूमि पर गन्ना-चना अंतरफ सल की शुरुआत हुई है, जो किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। योजना के तहत किसानों को चने की दो उच्च उत्पादक किस्मों विक्रम फु ले और आरबीजी.202 का बीज निशुल्क वितरित किया गया। बीज वितरण की यह प्रक्रिया बीसा जबलपुर के तकनीकी विशेषज्ञ दीपेंद्र सिंह,वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी आरएन त्रिपाठी कृषि विस्तार अधिकारी एसके वासनिक एवं टीम के अन्य सदस्यों के सहयोग से पूरी की गई। तकनीकी विशेषज्ञ दीपेंद्र सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि एक ही खेत में दो फ सलें लगाना सिर्फ प्रयोग नहीं, बल्कि जोखिम प्रबंधन का एक सशक्त तरीका है।उन्होंने समझाया यदि किसी मौसमीय संकट या बीमारी से गन्ना प्रभावित हो जाएए तो चना स्थिर आय का भरोसा देता है।चना मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है, जिससे खेत प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनता है और उर्वरकों की लागत घटती है।अंतरफसल की घनी संरचना जमीन की नमी बचाती है जल संरक्षण में मदद करती है और कटाव रोकती है।फ सलों की विविधता खेत में प्राकृतिक संतुलन बनाती है, जिससे कीट.खरपतवार नियंत्रण पर होने वाला खर्च कम हो जाता है।नरसिंहपुर.जिले की खेती इन दिनों एक दिलचस्प और नवाचारपूर्ण बदलाव से गुजर रही है। खेतों में गन्ने की लंबी कतारों के बीच अब चने की हरी.हरी लहरें दिखाई देंगी और यह दृश्य केवल खेती का विस्तार नहीं बल्कि जलवायु.स्मार्ट कृषि की दिशा में बड़ी छलांग है। मक्का और गेहूं सुधार केंद्र,बोरलॉग इंस्टीट्यूट फ ॉर साउथ एशिया और कृषि विभाग ने साथ मिलकर इस अनोखे मॉडल को जमीन पर उतारा है। जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अंतर्गत इस साल जिले में 250 एकड़ भूमि पर गन्ना-चना अंतरफ सल की शुरुआत हुई है, जो किसानों के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। योजना के तहत किसानों को चने की दो उच्च उत्पादक किस्मों विक्रम फु ले और आरबीजी.202 का बीज निशुल्क वितरित किया गया। बीज वितरण की यह प्रक्रिया बीसा जबलपुर के तकनीकी विशेषज्ञ दीपेंद्र सिंह,वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी आरएन त्रिपाठी कृषि विस्तार अधिकारी एसके वासनिक एवं टीम के अन्य सदस्यों के सहयोग से पूरी की गई। तकनीकी विशेषज्ञ दीपेंद्र सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि एक ही खेत में दो फ सलें लगाना सिर्फ प्रयोग नहीं, बल्कि जोखिम प्रबंधन का एक सशक्त तरीका है।उन्होंने समझाया यदि किसी मौसमीय संकट या बीमारी से गन्ना प्रभावित हो जाएए तो चना स्थिर आय का भरोसा देता है।चना मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करता है, जिससे खेत प्राकृतिक रूप से उपजाऊ बनता है और उर्वरकों की लागत घटती है।अंतरफसल की घनी संरचना जमीन की नमी बचाती है जल संरक्षण में मदद करती है और कटाव रोकती है।फ सलों की विविधता खेत में प्राकृतिक संतुलन बनाती है, जिससे कीट.खरपतवार नियंत्रण पर होने वाला खर्च कम हो जाता है।