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Happy Birthday Lata Mangeshkar: रिकॉर्डिंग करतीं बेहोश हो गई थीं लता मंगेशकर, स्वर कोकिला के अनकहे-अनसुने किस्से

Lata Mangeshkar untold story: 28 सितम्बर 1929 को इंदौर में जन्मीं महान गायिका लता मंगेशकर का आज जन्मदिन है... इस अवसर पर जानें लता की गायिकी, आवाज और करियर के अनसुने-अनकहे किस्से

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happy birthday lata mangeshkar untold stories interesting facts during recording

happy birthday lata mangeshkar untold stories interesting facts during recording (photo: social media)

Lata Mangeshkar Untold Story: संजना कुमार@patrika.com: एक आवाज… जो सिर्फ कानों तक नहीं पहुंची, बल्कि करोड़ों दिलों में बस गई… एक सुर जिसने पीढ़ियों को साज दे दिया। वही जिसने कभी गाया था और जिसे लोग आज भी गुनगुनाते हैं अपना अंदाज देते हैं…. नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है… गर याद रहे…आरडी बर्मन के संगीत से सजा गीतकार गुलजार का लिखा ये गीत सुनकर आप ही गए होंगे कि हम यहां किसकी बात कर रहे हैं… लता मंगेशकर की. सुरों और आवाज की ऐसी प्रतिमूर्ति जिसका जैसा न कोई हुआ न होगा। आज उनके जन्मदिन पर patrika.com आपको बता रहा है लता मंगेशकर की लाइफ और करियर से जुड़े ऐसे अनसुने अनकहे किस्से जो बताते हैं, 'उनकी गायकी साधना थी….'

लता जी का संगीत एक हुनर नहीं था, विरासत थी

28 सितम्बर 1929 को इंदौर में जन्मीं लता का संगीत सिर्फ एक हुनर नहीं था, यह उनकी विरासत थी। कहा जाता है कि उनका परिवार कभी कलावंतिन परंपरा से जुड़ा था। यानी वो परंपरा जहां संगीत और नृत्य सिर्फ कला नहीं, बल्कि पूजा माने जाते थे। शायद यही वजह थी कि लता जी की आवाज में वो पवित्रता थी… जो सुनने वाले की रूह में उतर जाती थी…जैसे कि आज भी…

लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में आवाज का कंप्यूटराइज्ड विश्लेषण

लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में जब लता मंगेशकर ने सुरों का जादू बिखेरा, तो उनकी आवाज का कंप्यूटराइज्ड विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट कहती है, उनका वॉइस ग्राफ लगभग ‘परफेक्ट’ था। मानो ईश्वर ने उन्हें इसीलिए रचा हो कि लोग उनकी आवाज और सुरों के जादू को रिसर्च का विषय बना लें…ऐसी आवाज ऐसे सुर आखिर कैसे?

तपती गर्मी में घंटों तक रिकॉर्डिंग, बेहोश हो गई थीं लता

आज हम ए.सी. स्टूडियोज में गानों की रिकॉर्डिंग सुनते हैं। लेकिन लता जी का दौर अलग था। मुंबई की तपती गर्मी में, बिना पंखे और बिना हवा के, उन्होंने घंटों तक गाया। एक बार तो वे चक्कर खाकर गिर पड़ीं… लेकिन रुकी नहीं। गाना पूरा किया।
क्योंकि उनके लिए संगीत सिर्फ काम नहीं, साधना था।

सिर्फ एक दिन ही स्कूल जा पाई थीं

आपको जानकर हैरानी होगी कि लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) सिर्फ एक दिन ही स्कूल जा पाई थीं। कारण? जब उन्होंने अपनी छोटी बहन आशा भोंसले को साथ ले जाने की जिद की और शिक्षक ने मना कर दिया। वो दिन था उनका स्कूल का पहला और आखरी दिन, उसके बाद वो दोबारा कभी स्कूल नहीं गईं। उनका असली स्कूल बना उनका घर और शिक्षक बने पिता और उनकी पढाई थी उनका रियाज। किताबों की जगह सुरों और गीतों ने ली।

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लता की आवाज का जादू उनकी तपस्या थी बड़ा मंच नहीं

लता जी मानती थीं कि आवाज की ताजगी सिर्फ रियाज से नहीं, बल्कि मौन से भी आती है। यही कारन था कि रिकॉर्डिंग से पहले वे कई-कई घंटे बोलती तक नहीं थीं। उनके लिए मौन ही ध्यान था…और ध्यान से ही जन्म लेते थे वो अमर गीत… जिन्हें हम, आप आज भी गाते और गुनगुनाते हैं।

    लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) सिर्फ गायक नहीं थीं…वो भारत की आत्मा की आवाज थीं। उनकी कहानियां-उनके करियर के किस्से हमें याद दिलाते हैं कि महानता बड़े मंचों से हो ऐसा बिलकुल नहीं है, बल्कि उसके लिए छोटे-बड़े त्याग, अनुशासन और साधना से की, तप की जरूरत होती है… आज लता मंगेशकर भले ही हमारे बीच नहीं रहीं लेकिन उनकी आवाज और नाम ही संगीत की दुनिया के महान शिक्षक हैं… और उनके सुर अभ्यास की पाठशाला हैं… आज उनके प्रति हमारी यही आदरांजलि ही हमारी शृद्धांजलि है… वैसे तो हम आप रोज गुनगुनाते हैं…. आज भी गुनगुनाइए उनकी उनकी जादुई मखमली, रूहानी आवाज के गीत जो आपका पूरा दिन बना दें… आपको ये किस्से और कहानियां पसंद आये हों तो हमें कपंमेंट करके जरूर बताएं आज आपने लता जी का कौनसा गीत गाया? HAPPY BIRTHDAY LATA MANGESHKAR...